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कैसे सोचें ?
उठा-तुम्हें भ्रम हो गया। मैंने भी उसको देखा है। वह हरे रंग का था। वह बोला-तुम गलत कहते हो। कोई दूसरे वृक्ष पर दूसरा जानवर देखा होगा। मैंने अपनी आंखों से देखा है कि वह लाल रंग का था। उसने कहा-मैं गलत नहीं कह रहा हूं। दूसरा बोला-तुम गलत कह रहे हो। वह जानवर हरे रंग का ही था। आरोप-प्रत्यारोप चलता रहा। कुछ क्षण बीते । दोनों ने बाहें चढ़ा लीं। लड़ाई प्रारम्भ हो गई। एक समझदार पथिक ने कहा-बेकार क्यों लड़ रहे हो ? मैं भी तुम्हारे पीछे-पीछे उसी रास्ते से आ रहा हूं। तुम दोनों सही हो। वह लाल रंग का भी था और हरे रंग का भी था। तुम समग्रता की दृष्टि से सोचोगे तो दोनों सही निकलोगे और व्यग्रता की दृष्टि से सोचोगे तो लड़ते ही रहोगे। देखो, वह जानवर गिरगिट था। जब पहला पथिक उधर से निकला तब उसका रंग लाल था। जब दूसरा पथिक उधर से निकला तब वह हरे रंग में बदल गया। गिरगिट रंग बदलता है। तुम दोनों सही हो।।
यह दुनिया गिरगिट रूप है। यहां प्रत्येक पदार्थ की प्रकृति भी गिरगिट की प्रकृति है और आदमी की प्रकृति भी गिरगिट की प्रकृति है। एक आदमी एक दिन में न जाने कितने रूप बदलता है। लगता है कि आदमी स्वयं परमात्मा की प्रतिमूर्ति बन गया है। जिस आदमी को प्रात:काल के समय बहुत शान्त और वीतराग अवस्था में देखा, उसी आदमी को मध्याह्न में इतना अशान्त और उत्तेजित होते देखा कि मानो उससे बड़ा राक्षस और दैत्य दूसरा कौन हो सकता है ? एक आदमी एक दिन में हजारों-हजारों मुद्राएं बना लेता है। वह अनेक मुद्राओं में जीता है। समुद्र में दिन में एक बार और रात में एक बार ज्वार भाटा आता है, पर आदमी के विचारों में दिन में सैकड़ों ज्वार-भाटे आ जाते हैं। उतार-चढ़ाव निरन्तर चलता रहता है। एकरूपता कहां रहती है ? अनेकरूपता है व्यग्रता का परिणाम। अनुसंधान आवश्यक है। अनुसंधान का अर्थ है-अतीत के पर्याय की और वर्तमान के पर्याय की खोज। जब तक दोनों पर्यायों का जोड़ नहीं होता, आदमी को पहचाना नहीं जा सकता। वस्तु का जानने और पहचानने के लिए आवश्यक है अतीत और वर्तमान के पर्याय का अनुसंधान । यही समग्रता का दृष्टिकोण है। समग्रता के दृष्टिकोण में संघर्ष और विवाद की संभावनाएं बहुत कम हो जाती हैं। आदमी जब-जब व्यग्रता की दृष्टि से सोचता है, एकांगी बात को पकड़ कर सोचता है, एकांगी आग्रह में फंसता है तब-तब लड़ाई और संघर्ष को निमंत्रण देता
चिन्तन का स्वस्थ दृष्टिकोण है-विधायक दृष्टिकोण, समग्रता का दृष्टिकोण।
सम्राट् श्रेणिक की महारानी चेलना सो रही थी। सर्दी का मौसम।
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