Book Title: Jinshasan na Zalhlta Nakshatro Part 01
Author(s): Nandlal B Devluk
Publisher: Arihant Prakashan

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Page 658
________________ ૬૪૨ समुदाय के शासन प्रभावक परम पूज्य आचार्य श्रीमद् विजयरत्नसुंदर सूरीश्वरजी म.सा. की पावन प्रेरणा व मार्गदर्शन से दिल्ली के चारों फिरकों के सभी जैनियों ने एक साथ मिलकर शादी-ब्याह रात्रि में नहीं करने का ऐतिहासिक निर्णय किया। यदि सभी राज्य के सभी शहर के सभी जैनियों शादी-ब्याह में रात्रि भोजन त्याग का ऐतिहासिक निर्णय करते है तो भगवान श्री महावीर स्वामी के श्री जैन शासन में महान धर्मक्रांति होगी जो बहुत आनंदअनुमोदना की बात होगी । ★ पूज्यपाद आचार्य श्रीमद् सागरानंद सूरीश्वरजी म.सा. के समुदायवर्ती युवा मुनिराज थी वैराग्यरत्नसागरजी म.सा. ने अभी शंखेश्वर तीर्थ में श्री वर्धमान तप आयंबिल की 100 40 ओली का पारणा किया। आपने लगातार 4700 आयंबिल 14 वर्ष के करीब आयंबिल एक साथ में किये। धन्यवाद । ★ प्रतिष्ठा के वक्त जिनका नाम भगवान की पिठीका की दीवार पर बड़े आदर के साथ लिखा जाता है ऐसे मुख्य प्रभाववंत पुरुषादानीय श्रीजीरावला पार्श्वनाथ भगवान का तीर्थ मंदिर राजस्थान आयु पर्वत के पास में 108 करोड़ की लागत से निर्माण हो रहा है। धन्य है भगवान श्री जिनेश्वर देव के भक्तों की भक्ति को - - ★ मुंबई - माटुंगा जैन संघ के 63 वर्ष की उम्र के आराधक सुश्रावक श्री कल्याणजी धनजी वोरा ने लगातार 27 वां वर्षीतप पूर्ण किया, अभी उनको 28 वां वर्षीतप चल रहा है। Jain Education International राजस्थान के पावापुरीधाम तीर्थ में श्रीमद् विजय प्रेमभुवनभानु जयघोष सूरीश्वरजी म.सा. के आज्ञानुकारी महान प्रभावक आचार्य पूज्य श्री हेमचंद्र सूरीश्वरजी म.सा. की शुभ श्रा में दानवीर सुश्रावक श्री के.पी. संघवी (बाबुलालजी) की धर्मपत्नी ने लगातार चल रहे 10 वें वर्षीतप में 68 उपवास किये। उस तप की अनुमोदना निमित्त श्री के. पी. संघवीजी ने सात क्षेत्र में 68 लाख रुपयों का दान घोषित किया, साथसाथ उनके भतीजा ने भी इतनी ही रकम यानी 68 જિન શાસનનાં लाख रुपयों का सात क्षेत्र में दान घोषित किया। ★ मुंबई घाटकोपर के एक उदारदिल श्राविका श्री कल्पना बेनजी हर्षदभाई पारेख ने स्वद्रव्य से करीब 2 करोड़ की लागत से श्री सीमंधर स्वामी जिनालय तथा उपाश्रय होल का निर्माण करवाया। अपार धन खर्च कर जिनालय को सुशोभित करवाया और स्वद्रव्य से भव्यातिभव्य प्रतिष्ठा महोत्सव किया। यानी धन के ममत्व को छोड़कर प्रभु के ऊपर ममत्व बढ़ाया। - परम ★ श्रीमद् विजय प्रेम भुवनभानु जयघोष सूरीश्वरजी - म.सा. के आज्ञानुकारी शासन प्रभावक दीक्षा दानेश्वरी पूज्य आचार्य श्री विजय गुणरत्न सूरीश्वरजी म.सा. की पावन निश्रा में श्री शंखेश्वरजी तीर्थ में 1800 आराधकों ने सामूहिक उपधान तप की भव्य आराधना की। 100 लोगों ने विधि पूर्वक प्रथम उपधान की माला पहनी संख्या के हिसाब से यह सबसे बड़ा उपधान तप और आश्चर्य है। इसके आयोजक दानेश्वरी ने आयोजन करने में पानी की तरह धन को बहाया और अति सुंदर व्यवस्था की अर्थात् उन्होंने चारित्र धर्म के आगे धन को मूल्यहीन समझा । ★ मुंबई परेल श्री संघ में एक स्वरुपवान अतिधनवान पतिपत्नी ने आजीवन ब्रह्मचर्य - व्रत लिया। आज उनका बेटा 18 वर्ष का है। वे दोनों 11 वर्ष से 1-1 वर्ष की प्रतिज्ञा लेकर ब्रह्मचर्य व्रत का पालन कर ही रहे थे। अबकी बार भगवान श्री वर्धमान महावीर स्वामी की सालगिरह पर सकल श्री संघ की उपस्थिति में आजीवन ब्रह्मचर्यव्रत की प्रतिज्ञा कर ली । धन्य जीवन ! ए व्रत जगमां दीवो मेरे प्यारे ! गुजरात के कच्छ वागड़ प्रदेश में एक ही उदारदिल धन्नाशा नामकी व्यक्ति ने लाखों रुपयों की लागत से भव्य जिनालय का निर्माण किया। प्रभु प्रतिष्ठा के महोत्सव में गांव के समस्त 10 हजार अजैनियों को पांच प्रकार की मिठाई व फ्रुट ज्युस इत्यादि मूल्यवान चीजों से पांच दिन तक भरपूर भोजन करवाया। यानी जैसा भोजन जैनियों ने किया वैसा ही भोजन अजैनियों को भी उदारता से करवाया व प्रतिष्ठा के निमित्त 2 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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