Book Title: Jambuswami Charitam
Author(s): Ratnaprabhsuri, Hemsagarsuri
Publisher: Dhanjibhai D Zaveri

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Page 4
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जम्बूचरित्रे Decemewwececreaseeocarpeaper NI सुद्दचित्तो, सोहम्मे सुरवरो जाओ ॥ २८ ॥ अवरो वि महषिया सा, अहंपि तीसे पियो त्ति घोसिंतो। स गओ सुग्गामम'व IN भवदेवना| सेउबंधणो नीरपूरोव्व ।। २९ । मह विरहदहणदाहेण, दीणदेहा हहा वराई सा । कह नायव्वा उध्वाह-कालमुका नवे पेम्मे गिलाप्रश्नो॥ ३० ॥ इय चिंतितो चेइयहरस्स चिटुइ दुवारदेसे जा । ता गामाउ एगा, उवागया इत्थिया तत्थ ।। ३१ ।। पूओवगरणपडलगपाणीए बंभणीए अणुसारिया । साहु त्ति बंदिओ पुच्छिओ य दोहि वि सुहविहारं ॥ ३२ ॥ पुच्छियमिमेण मे कहसु, त्तराणि । साविगे! अज्जवंति रट्टउडो । जीवेइ रेवई तह ताण बहू नागिला सा य ॥ ३३ ॥ चितियमेयाए कयाइ, होज्ज एसो स जेण ऊढाई। पुच्छामि ताव एवं किं तेहिं पओयणं तुज्झ ॥ ३४ ॥ अयमा अहं अज्जव-रेवइ अंगुब्भवो नणु कणिद्रो। भवदेवो 16 नामेणं, परिणीया नागिला य मए ।। ३५ ।। पियनियबंधवभवदत्तसाहुउवरोहओ मए विहिया। एत्तियदिणाणि दिक्खा, तमकयमुGI हमंडणं मोतं ।। ३६ ।। भवदत्तो संपत्तो, संपइ सुरलोयमहमिहं तत्तो। तम्मुहकमलालोयणलालसहियओ समायाओ ।। ३७॥ भणियमिमीए मयाणं, मायापियराण तुह बहुकालो । जीवइ अज्जवि सा नागिला उ सहिया महं चेव ।।३८ ।। ROPopcorncomeporncomcapes भव-तो तीए तुमं सव्वं, मुणसि सरूवं ति किंपि पुच्छामि । किरूवरूवलावन्न-वनिया किंवया तह सा ॥ ३९ ॥ श्राविका-जारिसियाऽई दिद्वा, तारिसिया सा न विज्जइ विसेसो । किं तीए कायव्यं, अव्वो तुह चारुचरणस्स ॥ ४०॥ भव-परिणेऊणं तक्त्रणमेव, विमुक्का मए बराई सा। श्राविका-सुकरहिं तीए मुका, भवविसवल्ली तओ सुका ॥ ४१ ।। भव-सुहसीलसमायारा, सा किं पालेइ सावयवयाई। श्राविका–पालइ न केवलं, अप्पणा हु पालावइ परंपि ॥४२॥ भव-अणवरयमेव सुमरामि, तं जहा मं तहा णु किं सा वि । श्राविका-साहु वि तुम भुल्लो, सिवम सा वि किं तुला ॥४३॥ १ अपगतसेतुबंधनो नीरपुर इव । For Private And Personal Use Only

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