Book Title: Jalpkalplata Author(s): Ratanamandanji Publisher: Devchand Lalbhai Pustakoddhar Fund View full book textPage 9
________________ ॥ अहं॥ श्रेष्ठि-देवचन्द्र लालभाई-जैनपुस्तकोद्धारग्रन्थाङ्के श्रीमद्रत्ननन्दीकृता जल्पकल्पलता। जिनवर ! वरद ! त्वं सेवके देव ! केली-ममृतलहरिकल्पां कारयेह स्वदृष्टिम् । रचय मयि च वाचां देवि! चेतः कृपालु, त्रिभुवनभवभावाभासने भानुभानः ॥१॥ जल्पकल्पलतामेतामस्तोकस्तबकत्रयाम् । कुर्वे सर्वेप्सितां मुग्धभृङ्गवाचालतावहाम् ॥२॥ इह हि पुरा पुरारिसरित्तरङ्गायमाणभणितिभङ्गीभत्सितोत्सर्पदीालुवादीन्द्राहकारकालुष्याः शिष्याPage Navigation
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