Book Title: Jaipur aur Nagpur ke Jain Granth Bhandar
Author(s): Premchand Jain
Publisher: University of Rajasthan

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Page 19
________________ ... Amber Shastra Bhander ............ ["5 Scribal remarks- ...................... .... .. . संवत् सतरासै चौतीस, कार्तिक शुक्ल पक्ष शुभ दीस।.. नौरंग तप दिल्ली सुलितान, सवै नृपति वहै पिरि प्राण ।।२६६| नागर चाल देश शुभ ठाम, नगर बणहटो उत्तम धाम ।। सब श्रावक पूजे जिनधर्म, करै भक्ति पावै बहु शर्म ॥२६७॥ कर्मक्षय कारण शुभ हेत पार्श्वनाथ चौपई संत । पण्डित लाखो लाख सभाव सेवा धर्म लखो शुभनाथ । २६८॥ प्राचार्य श्री महेन्द्रकीति के शिष्य पाण्डे दयाराम सोनी ने भट्टारक महेन्द्रकीति के शासन में दिल्ली के जयसिंहपुरा के देउर में प्रतिलिपि की थी। ". Copy No. 6. SRAVAKACHAR SARODHAR Author ----MUNI PADAM NANDI Size -101"xal" Extent -21 Folios. Description-Country paper, thin and greyish, Devanagari characters big, bold, clear and elegant hand-writing; borders ruled in three lines; red chalk and yellow pigment also used; 18 to 21 folios damaged, the crndition of the manuscript is fair; It is a complete work written in Sanskrit. Date of the --Chaitra Sudi 9, V.S. 1668 Subject -ACHARA SHASTRA -~~-इति श्रावकाचारसारोद्धारे श्री पद्मनंदिमुनिविरचिते द्वादशवत वर्णनो नाम तृतीय परिच्छेदो समाप्तः। . Scribal remarks : __ यस्य तीर्थकरस्येव महिमा भुवनातिगा। रत्नकीर्तिर्यतिः स्तुत्य स न केषामशेषवित् ॥ १ ॥ अहंकार . स्फारी भवदमितवेदांतविवुधो- - : लसात्सिद्धांत ' . श्रेणिक्षपणनिपुणोक्तिधुतिभरः । अधीती जैनेन्द्रऽजनि · रजनिनाथ-प्रतिनिधिः ....., प्रभाचन्द्र सान्द्रोदयशमितापद्यतिवरः ।।२।। ..." महावति .. पुरंदरः प्रश्मदग्धाङ्करः . . . स्फुरत्य .."; परपौरुष स्थितिरशेषशास्त्रार्थवित् । । यशोभर - मनोहरीकृतः समस्तविश्वंभरः . . . . । परोपकृति-तत्परो : “जयति . पद्मनन्दीश्वरः ॥३॥

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