Book Title: Jaipur aur Nagpur ke Jain Granth Bhandar
Author(s): Premchand Jain
Publisher: University of Rajasthan
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Jain Granth Bhandara in Jaipur & Nagaur
यदुक्तं . जिनसेनेन सूरिया भव्यरधुना । तन्मया रामचन्द्रेण संक्षेपेणव भापितम् ॥ ८ ॥ यावद्रत्नाकरो लोके यावन्मेरूधुरीणिता ।
तावदयं समासो हि तिष्ठतां महदाशये ॥ ५॥
इति श्री हरिवंशपुराण समासे अभिमन्यु प्रेष्ठिनामांकिते नेमिनाथ परिनिर्वाण-... वर्णनं पञ्चमाधिकरण समाप्तम् ॥
No.5
Ref. No. 169, JYOTISA RATNAMALA TIKA. Author -PT, VAIJA Commentator-SHRIPATI BHATT Size - 11x51" Extent -110 Folios, 15 to 18 lines per page, 30 10 41 letters per ..
line. Description -Country paper, thin and greyish; Devanagari characters
in small,. legible and good . hand-writing; this manus. .. cript .contains both the . text and commentary; borders : ruled in for lines; the condition of the manuscript on the
whole satisfactory; it. is a complete manuscript. Date of the Original
-v.s. 1516. Subject - JYOTISA" Ends --- ज्योतिप रत्नमाला विप्रधरा श्रीपति मध्येय तस्या सुटीका प्रकटार्थ युक्तां
दिनमिमिवाडवाणवीजागोधान्वये धान्य इति प्रसिद्धो गोत्रवभूवाखिलशास्त्रवेत्ता सोमेश्वर चं गुरु हस्तु वैजादालाववोध संचकार टीका । इति श्री . श्रीपति भट्ट विरचितायं ज्योतिप पंडित वैजाकृत टीकायां प्रतिष्ट प्रकरणानि....
शर्त प्रकरण समाप्त । Saribal remarks :
. सम्बत् १५१६ प्रवर्तमाने बटाद्वयोर्म मध्ये सोभन नाम संवत्सरे ॥ सम्बत् १६५१. वर्षे चैत सुदि प्रतिपदा १ मंगलवारे चंपावती कोटातृ मध्ये लिखितं. अकबर राज्ये लिखितं. पारासर गोत्रे प० ग्वेमचन्द आत्मज पुत्र पठनार्थ मोहन लिखितं ।

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