Book Title: Jaipur aur Nagpur ke Jain Granth Bhandar
Author(s): Premchand Jain
Publisher: University of Rajasthan

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Page 123
________________ . [ 109 ... Tholia Jain Temple Granth Bhandar - Date of the Copy _Kartika Badi 5, V. S. 1537 Subject :-DHARAM Scribal remarks : . संवत् १५३७ वर्षे फातिक बुदि ५ सोमवासरे इसवारी स्थाने श्री अजितनाथ चैताल्ये राजाधिराज श्री अजयमल्ल विजय राज्ये श्रीमत् काष्ठासंघे नंदी तटगच्छे विद्यागणे भ. श्री रामसेनान्वये भ० रत्नकीति तत्पट्ट भ० लखमसेन तत्पट्टे धरणधीर पट्टाचार्य भ० श्री सोमकीर्ति तत् शिष्य प्राचार्य श्री वीरसेनाचार्य विमलसेन मुनि विजयसेन मुनि जयसेन ७० वीरम । न० कान्हा । ७० गणीव । न० शामण । प्रायिका वाई जिनमती । प्रायिका विनयसूरि । प्राचार्य जिनशिरि । क्षुल्लिका बाई नाई । क्षु० गाजी। पं. अस्सी। पंडित वेला । पं० जिनराज । पं० नरसिंह । पं० वीमपाली छात्र वाला। .No. 2 GYANASURYODAYA NATAK VACHNIKA Author --VADICHANDRA SURI Translator -VIRANANDI Size --111x51" Extent -90 Folios, 9 lines per page, 33 to 35 letters per line. Description -Country paper, rough and grey; Devanagari characters in big, legible and clear hand-writing; borders ruled in three lines, edges in two lines; yellow pigment used; It is a complete work in good condition; written in Sanskrit, .. Prakrit and Hindi. Date of the Copy -Fairly old . Subject -NATAKA Begins -ॐ नमः सिद्धेभ्यः ।। अथ ज्ञानसूर्योदय नाटक की वचनिका लिख्यते । .... .... दोहा -वंदो केवल ज्ञान रवि उदय अंख कित 'जासः ।: :. ..... जो भ्रमतम हर मोक्षपुर मरि करत प्रकाश ॥१॥. . . . : अस मंगलकरि ज्ञानसूर्योदय नाम नाटक की वनिका लिखिये हैं । छः ।। .... Enda - दिग्दर मत विष तिसज्ञानभूषण प्राचार्य पट्ट का निर्मल ग्राभूषण चमकता जो मयूर का पिछता करि सहित है ! हस्त जाका प्रभाचन्द्र प्राचार्य होता भया । पैसा सो अति प्रवीण सोहै है । ताकै पट्ट विष वादीन के समुह का

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