Book Title: Jaipur aur Nagpur ke Jain Granth Bhandar
Author(s): Premchand Jain
Publisher: University of Rajasthan

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Page 33
________________ Badhi Chand Ji Mandir Granith Bhandar. [19 copy No. 4 Ref. No. 384 VARANGA CHARITA ... Author KAMALNAYAN i Size -9"x53" Extent 121 Folios Description Country paper, thin and grey; Devanagari characters in small, clear and good hand-writing; borders ruled in four lines; thc cdges of the first folio is slightly worn out; the condition of the manuscript is fair; it is a completc work written in Hindi. Date of tlic -Kartika Vadi 7.V. S. 1938 - Subject --KAVYA ... Scribal remarks: जाति वुदेलेवंस पटु, मैनपुरी सुखवास । नागएवार कहावते, कासियो तसु तासु ।। नन्दराम इक साह तह, पुरवासिन सिर मौर । है हरचंद सुदाम तह, वैद्य क्रियाधर और ।। तिनही के सुत दोय हैं, भाषू तिनके नाम । क्षितपति दूजो कंजदृग, धरै भाव उर साम । लघु सुत कीनी जह कथा, भाषा करि चितल्याय । मंगल करौ भवीन को, हूजे सब सुखदाय ॥ एन समय धरतै चलिकं, वरवास कियो तु पराग मझारी । हीगामल सुत लालजी तासो तहा धर्म सनेह वाढा अधिकारी ।। तह तिनको उपदेशहि पायक कीनी कथा रुचि सौ सुविचारि । .. . होहू सदा सवको सुखदायक राम वरागं की कीरति भारी॥ दोहा -- संवत् नवइते सही सतक उपरि फुनि भाषि । युग्म सप्त दोउधरी अकंवाम गति साखि ॥ इह विधि सब गन लीजिये करि विचारि मन बीच । जेठ सुदी पुनो दिवस पुरन करि तिहि खींच ।। इति लिपिकृतं पं० साखुरिणस्थ अमीचन्द शिष्य जुगराज वाराबंकी नवाबगंज मध्ये संवत् १९३८ का कार्तिक कृष्णा ७ ॥

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