Book Title: Jaipur aur Nagpur ke Jain Granth Bhandar
Author(s): Premchand Jain
Publisher: University of Rajasthan

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Page 54
________________ 401 ____ Jain Granth Bhandams In Jaipur & Nagaus Ends... -पद्मनंदि मुनिराज पट्टमांहि भयो । शुभ चदर भट्टारक शुभ · उपदेशयो ।। भव्य कमाल -कौ. भानू समात... कया करी : सिद्धि चक्रवत की पात वसुंविधि गरी ।। १ ।। सम्यक दृष्टि शुद्ध स्वभाब जिन धर्मी में 'ऋत्सल चाल है . कथा कराई जाल के नाम श्रावक शुभकारिणी शुभधाम ॥२॥ फागुण सुकल पं.चसी वार, शशि उग रिपस, बाइस- सार । भाषा सिद्धचक्र.. की करी,. नथमल पढ़ो, भन्य अघहरी..।। ३.1भूलि चूकि कऊ लिखि यो होय, मंद ज्ञान तें सुधो सोय । बहु ज्ञानी जे समझे सार, कथा संस्कृत के अनुसार ।। ४ ॥ सिद्धचक्र व्रत भवि नाचरी, काती फागुण साढ न करी ।। मिनख जन्म अति दुर्लभ पांग, वन विन इक क्षण व्हन गमाय ॥ ५ ॥... Scribal remarks : इति श्री सिद्धचक्र व्रत की कथा देशभाषा बचानका मय, समाता । मीति साचणाः . . वुदि १० वीसपतवार संवत् १९२४ का ॥ श्री ॥ श्री | श्री ॥ No.2 BRAHM VILAS Author -BHAGAVATIDAS . . . . . . . ..... .. Size -~-13"x7 Extent -164 Folios, 11 lines per page, 40 letters per Time : . Description - Country paper thin and greyish; Devanagari Characterii im sufficiently big, legible and elegant hand-writing; borders Tuled in three lünes; the condition of the manuscript is ' satisfactory; it is a complete work, written in Hindi. . Date of the -V.S.1754 Subject --ACHAR Begins -ॐ नमः सिद्धेभ्यः अथ ब्रह्म विलास लिख्यते । प्रथम पुण्य पच्चीसी लिख्यते । . . : छप-प्रथम. प्रणमि अरिहंत वहुरिपि. ... सिद्धनमि: । प्राचारजू उक्झाय, तास .. पद वंदन की: ।। सावु. . सकल . गुरगवंत संत . मुद्रा लखि बंदो । श्रावक प्रतिमा घरण चरण नमि पाप निकंदो ॥ . .., .

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