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जैन एवं बौद्ध भिक्षुणियों की दिनचर्या : ९९ के उत्तरों का समर्थन स्वयं बुद्ध ने भी किया था तथा उसे पण्डिता तथा महाप्रज्ञावान बताया था ।"
थेरीगाथा से, जिसमें भिक्षुणियों द्वारा अपनी निम्न प्रकृति (मार ) के ऊपर विजय प्राप्ति के समय के उद्गार वर्णित हैं, उनकी विद्वत्ता के सम्बन्ध में अनेक महत्त्वपूर्ण सूचनाएं प्राप्त होती हैं । येरी गाथा में ऐसी अनेक भिक्षुणियों का उल्लेख है जिन्हें तीनों विद्याओं में पारंगत बताया गया है ।
भिक्षुणी भद्रा कापिलायिनी को अपने आचार्य स्थविर महाकाश्यप के समान तीनों विद्याओं के जानने वाला बताया गया है। साथ ही उसे मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाली तथा मार और उसकी सेना को जीतकर अन्तिम देह धारण करने वाली कहा गया है। पटाचारा को विनयधारियों में अग्र कहा गया है। इसी प्रकार जिनदत्ता नामक भिक्षुणी को विनयपिटक की पंडिता, बहुश्रुता तथा सदाचारिणी कहा गया है ।" सुमेधा को भी शीलवती, वाग्मिनी, बहुश्रुता तथा बुद्ध-शासन के अनुसार शिक्षा पायी हुई बताया गया है ।"
अभिलेखिक साक्ष्यों से भी भिक्षुणियों की विद्वत्ता की सूचना प्राप्त होती है । मथुरा से प्राप्त हुविष्ककालोन एक अभिलेख (Mathura Buddhist Image Inscription) में भिक्षुणी बुद्धमित्रा को "पिटिका" कहा गया है । सारनाथ से प्राप्त एक अन्य अभिलेख ( Sarnath Buddhist Umbrella Post Inscription ) में सम्भवतः उसी भिक्षुणी को पिटिका कहा गया है - अर्थात् वह तीनों पिटकों की ज्ञाता थी ।
१. "पण्डिता, विशाख, धम्मदिन्ना भिक्खुनी, महापञ्जा, बिसाख, धम्मदिन्ना भिक्खुनी । मं चेपि त्वं विसाख, एतमत्थं पुच्छेय्यासि, अहं पि तं एवमेव ब्याकरेय्यं यथा तं धम्मदिन्नाय भिक्खुनिया ब्याकतं ।
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- मज्झिमनिकाय, १ / ४४.
२. थेरी गाथा, सं० ४९, ५३, ५८, ५९, ६०, ६१.
३. थेरी गाथा, गाथा, ६५.
४. विनयधरानं यदिदं पटाचारा, —अङ्गुत्तर निकाय, १/१४.
५. थेरी गाथा, गाथा, ४२७.
६. " सोलवती चित्तकथिका बहुस्सुता बुद्धसासने विनीता "
७. List of Brahmi Inscriptions, 38.
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थेरी गाथा, गाथा, ४४९.
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