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१७६ : जैन और बौद्ध भिक्षुणी-संघ
(च) जो भिक्षुणी विकाल में भोजन करे, स्वादिष्ट आहार के लोभ में किसी एक गृहस्थ के यहाँ जाये तथा पुरुष के साथ बैठे, तो पाचित्तिय प्रायश्चित्त'। वस्त्र सम्बन्धी अपराध __ जैन भिक्षुणो -(क) भिक्षुणो द्वारा वस्त्र को स्वयं खरीदने, रंगने, धोने तथा सुगन्धित आदि करने पर चातुर्मासिक उद्घातिक प्रायश्चित्त ।
बौद्ध भिक्षुणी-(क) चीवर तथा कठिन चीवर सम्बन्धी संघ के नियमों का उल्लंघन करने पर निस्सग्गिय पाचित्तियः ।
(ख) दूसरे के चीवर को धारण करने तथा चीवर के बाँटने में बाधा डालने पर पाचित्तिय प्रायश्चित्त ।
(ग) ग्रीष्म एवं शरद् ऋतु में शरीर पर ओढ़ने का वस्त्र यदि अधिक मूल्यवान हो, तो निस्सग्गिय पाचित्तिय" ।
(घ) उचित माप से छोटा या बड़ा वस्त्र बनवाने पर पाचित्तिय प्रायश्चित्त।
(ङ) जो भिक्षुणी बिना कंचुक गाँव में जाये, तो पाचित्तिय प्रायश्चित्त ।
(च) जो भिक्षुणी मासिक सम्बन्धी वस्त्र को उपयोग के पश्चात् स्वच्छ करके न रखे, तो पाचित्तिय प्रायश्चित्त ।
(छ) जो भिक्षुणी सूत काते, तो पाचित्तिय प्रायश्चित्त ।
१. पातिमोक्ख, भिक्खुनी पाचित्तिय, ११७-१२४. २. निशीथ सूत्र, १२।१५-१७. ३. पातिमोक्ख, भिक्खुनी निस्स ग्गिय पाचित्तिय, १३-२०; २६-२९. ४. वही, भिक्खुनी पाचित्तिय, २३-३०. ५. वही, भिक्खुनी निस्सग्गिय पाचित्तिय, ११-१२. ६. वही, भिक्खुनी पाचित्तिय, १६५-१६६. ७. वही, ९६. ८. वही, ४७-४८. ९. वही, ४३.
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