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१८० : जैन और बौद्ध भिक्षुणी-संघ बौद्ध भिक्षुणी-संघ में प्रायश्चित्तों की संख्या ७ थी । यहाँ प्रतिदिन गुरु के पास आलोचना आदि करने का विधान नहीं था। ___(ज) बौद्ध संघ में प्रत्येक नियम के निर्माण के सम्बन्ध में एक घटना का उल्लेख किया गया है । इसकी सहायता से नियम की गुरुता तथा उसकी प्रकृति को सरलता से समझा जा सकता है, परन्तु जैन ग्रन्थों में इस प्रकार की घटनाओं का कोई उल्लेख नहीं मिलता। यद्यपि परवर्ती ग्रन्थों (भाष्य, नियुक्ति, चूणि आदि) की सहायता से ही नियमों की प्रकृति को जाना जा सकता है।
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