Book Title: Jain aur Bauddh Bhikshuni Sangh
Author(s): Arun Pratap Sinh
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi
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२३२ : जेन और बौद्ध भिक्षुणी-संघ
नन्दुत्तरा - थेरीगाथा, गाथा, ८७-९१ - अट्ठकथा, ४२.
पटाचारा - अंगुत्तर निकाय, १|१४; थेरीगाथा, गाथा, ११२-१६ – अट्ठकथा, ४७.
पूर्णा - थेरीगाथा, गाथा, ३ – अट्ठकथा, ३.
पूर्णिका - वही, २३७ ५१ – अट्ठकथा, ६५.
बोधी - वही, ४०१ –— अट्ठकथा, ७२.
भद्राक पिलानी - अंगुत्तर निकाय १।१४, थेरीगाथा, गाथा, ६३-६६— अट्ठकथा, ३७.
भद्राकुण्डलकेशा - वही, १०७-१११ -- अट्ठकथा, ४६. भद्रा — वही, ९, — अट्ठकथा, ९.
महाप्रजापति गौतमी - वही, १५७-६२ - अट्ठकथा, ५५.
मुक्ता - वही, २ – अट्ठकथा, २. मुक्ता - वही, ११ - अट्ठकथा, ११. मेत्ता - वही, ३१-३२ – अट्ठकथा, २५. मैत्रिका - वही, २९ ३० - अट्ठकथा, २४. रोहिणी -- वही, २७१-९० – अट्ठकथा, ६७.
वजिरा - संयुक्त्त निकाय, ५/१०.
वाशिष्ठी - थेरीगाथा, गाथा, ३१२-२४ – अट्ठकथा, ६९.
विजया - वही, १६९-७४–अट्ठकथा, ५७.
विमला -- वही, ७२-७६ - अट्ठकथा, ३९. विशाखा - वही, १३ -- अट्ठकथा, १३. सकुला - वही, ९७-१०१ -- अट्ठकथा, ४४. संघा - वही, १८ - - अट्ठकथा, १८.
श्यामा ( प्रथम ) -- वही, ३७-३८, - - अट्ठकथा, २८. श्यामा (द्वितीय) -- वही, ३९-४१, अट्ठकथा, २९. सिगालकमाता -- अंगुत्तर निकाय, १।१४. शिशूपचाला -- थेरीगाथा, गाथा, १९६-२०३, अट्ठकथा, ६१. शुक्ला - वही, ५४-५६ -- अट्ठकथा, ३४. सिंहा - - वही, ७७-८१ – अट्ठकथा, ४०. सुजाता -- वही, १४५-५०-- अट्ठकथा, ५३. सुन्दरी -- वही, ३१२-३७-- अट्ठकथा, ६९. सुन्दरीनन्दा - वही, ८२-८६--अट्ठकथा, ४१.
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