Book Title: Jain aur Bauddh Bhikshuni Sangh
Author(s): Arun Pratap Sinh
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi
View full book text
________________
मूल ग्रंथ-सूची : २५५ बृहत्कल्पभाष्य (छः भगों में) · श्री आत्मानन्द जैन सभा, भावनगर,
१९३६ । गच्छायार पइण्णयं : रामजी दास किशोर चन्द्र जैन, मानसा (गच्छाचार)
मण्डी, पेप्सू, १९५१ । चुल्लवग्ग पालि
: नालन्दा देवनागरी पालि ग्रन्थमाला, बिहार
राजकीय पालि प्रकाशन मण्डल, १९५६ । जीतकल्पसूत्र
: श्री जिनभद्रगणिक्षमाश्रमणविरचित, संशोधक-मुनि पुण्यविजय, भाईश्री बबलचन्द्र केशवलाल मोदो हाजापटेलनी, अहमदाबाद,
वि० सं० १९९४ । ज्ञाताधर्मकथा (नायाधम्म- : सम्पा०-६० शोभाचन्द्र भारिल्ल, श्री कहाओ)
तिलोकरत्न स्थानकवासी जैन धार्मिक
परीक्षा बोर्ड, पाथर्डी, अहमदनगर, १९६४। थेरीगाथा
: उत्तमभिक्खुणा पकासितो, रंगून, १९३७ । दशवकालिक
: अनु०-घेवरचन्द बांठिया, अगरचन्द भैरो
दान सेठिया जैन पारमार्थिक संस्था,
बीकानेर, १९८५ । दीघ निकाय
: अनु०-राहुल सांकृत्यायन, भिक्षु जगदीश काश्यप महाबोधि सभा, सारनाथ,
वाराणसी, १९३६ । धम्मपद
: अनु० एवं सम्पा०-भिक्षु धर्मरक्षित, खेलाड़ी लाल एण्ड सन्स, संस्कृत बुक डिपो, कचौड़ी
गली, वाराणसी, १९५९ ।। ध्यानशतक
: जिनभद्रक्षमाश्रमणविरचित, विनयसुन्दर
चरण ग्रन्थमाला, जामनगर, वि० सं०,
१९७७। निशीथ सूत्र
: अनु०-अमोलक ऋषिजी, जैन शास्त्रोद्धार
मुद्रालय, सिकन्दराबाद । निशीथ विशेष चणि (चार सन्मति ज्ञानपीठ, आगरा, १९५७ । भागों में) पाचित्तिय पालि
: नालन्दा देवनागरी पालि ग्रन्थमाला पालि पब्लिकेशन बोर्ड (बिहार सरकार) १९५८ ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282