Book Title: Jain aur Bauddh Bhikshuni Sangh
Author(s): Arun Pratap Sinh
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 276
________________ मूल ग्रंथसूची । २५७ विनय-पिटक : अनु. राहुल सांकृत्यायन. महाबोधि सभा, सारनाथ (बनारस, १९३५) । व्यवहार सूत्र : सम्पा०-मुनि श्री कन्हैयालाल जी "कमल", आगम अनुयोग प्रकाशन, सांडे. राव, राजस्थान। संयुत्त निकाय : अनु०-भिक्षु जगदीश काश्यप, भिक्षु धर्मरक्षित, प्रथम संस्करण, १९५४, महाबोधि सभा, सारनाथ, वाराणसी। समन्तपासादिका (तीन भागों : सम्पादक-बीरबल शर्मा, नव नालन्दा महाविहार, नालन्दा, पटना, १९६५ । सूत्रकृतांग : अनु०-मुनि अमोलक ऋषिजी,श्री अमोल जैन ज्ञानालय, धूलिया, महाराष्ट्र, १९६३ । स्थानांग : सम्पा०~-मुनि श्री कन्हैयालाल जी 'कमल', आगम अनुयोग प्रकाशन, सांडेराव, राजस्थान । हर्षचरितम् : बाणभट्टकृत, चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी, १९७८ । सहायक ग्रन्थ-सूची हिन्दी जातककालीन भारतीय : महतो, मोहन लाल, बिहार राष्ट्र भाषा संस्कृति परिषद्, पटना। जैन कला एवं स्थापत्य (तीन : सम्पा०-घोष, अमलानन्द, (अनु०-लक्ष्मी भागों में) चन्द्र जैन) भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली, १९७५ । जैन योग का आलोचनात्मक : दिगे, अर्हदास बंडोबा (पा० वि० ग्रन्थअध्ययन माला : २३) सोहनलाल जैन धर्म प्रचारक समिति, अमृतसर, १९८१ । जैन शिलालेख संग्रह (प्रथम : सम्पा०-जैन हीरालाल, श्री माणिकचन्द्र भाग) दिगम्बर जैन ग्रन्थमाला, बम्बई। वही (द्वितीय एवं तृतीय : सम्पा०-विजयमूर्ति, श्री माणिक चन्द्र भाग) दिगम्बर जैन ग्रन्थमाला, बम्बई। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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