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संगठनात्मक व्यवस्था एवं दण्ड प्रक्रिया : १७१
(झ) जो भिक्षुणी कृत्रिम मैथुन करे अथवा अपने गुप्तांगों को थप - थपाये, तो पाचित्तिय प्रायश्चित्त' ।
(ज) अपने गुप्तांग में उँगलियों को गहरे तक ले जाये, तो पाचित्तिय प्रायश्चित्तर |
(ट) रात्रि के अन्धकार में अकेले पुरुष से बात करने पर अथवा एकान्त में, खुले में, सड़क पर या चौरास्ते पर अकेले पुरुष से बात करने पर पाचित्तिय प्रायश्चित्त ३ ।
हिंसा सम्बन्धी अपराध
जैन भिक्षुणी - (क) अपने हाथ से अथवा किसी लकड़ी की सहायता से किसी की हिंसा करे, तो अनवस्थाप्य प्रायश्चित्त ।
(ख) जो अकाल मृत्यु की प्रशंसा करें, उसे चातुर्मासिक अनुद्धातिक प्रायश्चित्त" ।
बौद्ध भिक्षुणी - (क) जो भिक्षुणी आत्महत्या के लिए अथवा किसी के प्राणघात के लिए शस्त्र आदि खोजे तथा मृत्यु की प्रशंसा करे, तो पाराजिंक प्रायश्चित्त ।
(ख) जो भिक्षुणी जानबूझकर किसी जीव को मारे या जीव सहित जल पिये, तो पावित्तिय प्रायश्चित्त ।
चोरी सम्बन्धी अपराध
जैन भिक्षुणी - (क) अपने गच्छ या संघ अथवा दूसरे धर्मावलम्बियों की वस्तु चुराने पर अनवस्थाप्य प्रायश्चित्त' ।
बौद्ध भिक्षुणी - (क) किसी वस्तु को बिना दिए हुए ग्रहण करने अथवा उसे चुराने पर पाराजिक प्रायश्चित्त' ।
३-४.
१. पातिमोक्ख, भिक्खुनी पाचित्तिय, २ . वही,
५.
३. वही, ११-१४.
४. बृहत्कल्पसूत्र, ४ / ३.
५. निशीथसूत्र, ११/१९७.
६. पातिमोक्ख, भिक्खुनी पाराजिक, ३. ७. वही, भिक्खुनी पाचित्तिय, १४२-४३. ८. बृहत्कल्पसूत्र, ४/३.
९. पातिमोक्ख भिक्खुनी पाराजिक, २.
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