Book Title: Jain Vidya 08
Author(s): Pravinchandra Jain & Others
Publisher: Jain Vidya Samsthan

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ (vi) . जैनविद्या आशा है गत अंकों की भांति ही हमारा यह प्रकाशन भी पाठकों को रुचिकर होगा। इसमें परिवर्तन, परिवर्द्धन, एवं रही हुई त्रुटियों के परिमार्जन हेतु पाठकों के सुझावों का स्वागत है। इस अंक के प्रकाशन में जिन रचनाकारों ने अपनी रचनाएं भेजकर जो सहयोग दिया है उसके लिए हम उनके आभारी हैं । आशा है भविष्य में भी इसी प्रकार हमें उनका सहयोग प्राप्त होता रहेगा। सम्पादक, सह-सम्पादक एवं मुद्रक पत्रिका के सम्पादन एवं मुद्रण में प्रदत्त योग के लिए धन्यवाद के पात्र हैं। नरेशकुमार सेठी प्रबन्ध सम्पादक

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112