Book Title: Jain Vidya 08
Author(s): Pravinchandra Jain & Others
Publisher: Jain Vidya Samsthan

View full book text
Previous | Next

Page 66
________________ जनविद्या 2. कौशाम्बी के राजा वसुपाल की पुत्री पद्मावती को उसके जन्म समय में हुए अपशकुन के कारण नदी में बहा देना और घाड़ीवाहन द्वारा पत्नी के रूप में उसे स्वीकार किया जाना । 52: 3. पद्मावती को दोहद हुआ कि वह नररूप धारण कर अपने पति के साथ हाथी पर सवार होकर परिभ्रमण करे । 4. हाथी द्वारा दोनों को लेकर जंगल में भागना । 5. वृक्ष की डाल पकड़कर राजा का बच जाना और कूदकर रानी का जंगल में चला जाना । 6. रानी के पहुँचते ही जंगल का हरा-भरा हो जाना । 7. माली उसे बहिन मानकर घर ले गया, ईर्ष्यावश पत्नी ने उसे बाहर निकाल दिया । श्मशान में उसे पुत्र हुआ जिसे मातंग उठाकर ले गया । वह मातंग वस्तुत: विद्याधर था जो मुनि के शाप से मातंग हो गया था । 8. शाप का प्रतिकार था - मातंग उस श्मसान में पड़े बालक का लालन-पालन करे और जब उसे राज्य मिल जायगा तो वह विद्याधर बन जायगा । 9. मातंग ने बच्चे को पाला पोसा, करकण्डु उसका नाम रखा । दंतीपुर के निःसंतान राजा के निधन पर राजा की खोज । हाथी द्वारा कलशाभिषेक कर देने पर करकण्डु को राज्य की प्राप्ति । मातंग का विद्याधर बन जाना । 10. करकण्डु का विवाह । चम्पाधीश धाड़ीवाहन से युद्ध, पद्मावती द्वारा रणभूमि में पितापुत्र की पहचान । घाड़ीवाहन का वैराग्य और करकण्डु का राज्याभिषेक । 11. करकण्डु का चेल, चोल और पांड्यों से युद्ध । तेरापुर गुफानों में पार्श्वनाथ का दर्शन, विद्याधर द्वारा जलवाहिनी का रोका जाना । 12. विद्याधर द्वारा हाथी का रूप धारण कर करकण्डु की पत्नी मदनावली का अपहरण । 13. सिंहल द्वीप जाकर करकण्डु का रतिवेगा के साथ पाणिग्रहण | 14. समुद्र मार्ग से लौटने पर मच्छ का आक्रमण, विद्याधरों द्वारा करकण्डु का अपहरण, पद्मावती देवी द्वारा रतिवेगा को करकण्डु से पुनर्मिलन कराने का श्राश्वासन । 15. करकण्डु का विद्याधरी के साथ पाणिग्रहण और रतिवेगा से पुनर्मिलन । 16. शीलगुप्त मुनि से करकण्डु के तीन प्रश्न और उनका समाधान । 17. जिनपूजा के फल से अतुल वैभव की प्राप्ति पर कीचड़ से सने हाथ से पूजा करने के कारण करकण्डु नाम होना । पद्मावती के पूर्वजन्म के दुष्कृत्यों के फलस्वरूप श्रापत्तियां । 18. णमोकार मंत्र के प्रभाव से शुक का विद्याधर हो जाना । -19. करकण्डु को वैराग्य और उच्च गति की प्राप्ति ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112