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पश्चम प्रकरण
स्थानांग व समवायांग गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद द्वारा संचालित पूजाभाई जैन ग्रन्थमाला के २३वें पुष्प के रूप में स्थानांग तथा समवायांग का पं० दलसुख मालवणियाकृत जो सुन्दर, सुबोध एवं सुस्पष्ट अनुवाद, प्रस्तावना व तुलनात्मक टिप्पणियों के साथ प्रकाशन हुआ है उससे इन दोनों अंगग्रन्थों का परिचय प्राप्त हो जाता है। अतः इन ग्रन्थों के विषय में यहां विशेष लिखना अनावश्यक है । फिर भी इनके सम्बन्ध में थोड़ा प्रकाश डालना अनुपयुक्त न होगा। ___ अंगसूत्रों में विशेषतः उपदेशात्मक एवं आत्मार्थी मुमुक्षुओं के लिए विध्यात्मक १. (अ) अभयदेवकृत वृत्तिसहित-आगमोदय समिति, बम्बई, सन् १९१८
१९२०; माणेकलाल चुनीलाल, अहमदाबाद, सन् १९३७. (आ) आगमसंग्रह, बनारस, सन् १८८०. (इ) अभयदेवकृत वृत्ति के गुजराती अनुवाद के साथ--अष्टकोटि बृहद्
पक्षीय संघ मुद्रा (कच्छ), वि. सं. १९९९. (ई) गुजराती अनुवादसहित-जीवराज घेलाभाई दोशी, अहमदाबाद,
सन् १९३१. (उ) हिन्दी अनुवादसहित-अमोलक ऋषि, हैदराबाद, वी. सं. २४४६. (ऊ) गुजरातो रूपान्तर-दलसुख मालवणिया, गुजरात विद्यापीठ, अहम
दाबाद, सन् १९५५. २. (अ) अभयदेवकृत वृत्तिसहित-आगमोदय समिति, सूरत, सन् १९१९;
मफतलाल झवेरचन्द्र, अहमदाबाद, सन् १९३८. (आ) आगमसंग्रह, बनारस, सन् १८८०. (इ) अभयदेवकृत वृत्ति के गुजराती अनुवाद के साथ-जेठालाल हरिभाई,
जैनधर्म प्रसारक सभा, भावनगर, वि० सं० १९९५. (ई) हिन्दी अनुवादसहित-अमोलक ऋषि, हैदराबाद, वी० सं० २४४६. (s) गुजराती रूपान्तर--दलसुख मालवणिया, गुजरात विद्यापीठ, अह
मदाबाद सन् १९५५. (ऊ) संस्कृत व्याख्या व उसके हिन्दी-गुजराती अनुवाद के साथ-मुनि
घासीलाल, जैन शास्त्रोद्धार समिति, राजकोट, सन् १९६२.
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