Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 1
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 335
________________ शब्द रोहिणी ११७ लंतियापिया लघुटीका लघुप्रतिक्रमण लघुशंका लतामार्ग लतिणीपिया लत्तियपिया लब्धि ललितविस्तर -ललितांकपिया लवण Pog २५३ १०७ २५७ २१५ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास शब्द पृष्ठ २५३, २७२ लोकसार ११९ लोकाशाह १५५ २५७ लोकाशाह और उनकी विचारधारा१५५ २४९ लोगविजय २७३ लोगावाई १४५ १२३ लोभ १९४ लोभप्रत्ययदण्ड २०२, २०३ २५७ लोमाहार २५७ लोहा २४४ ल्युक १५६, २२१ वक्रता १०७ वग्धावनच २६७ वचनशुद्धि २४४ २४७ वत्स २२३ २५१, २८१ वनपर्व २१६ २८१ वनवासी १८३ वनस्पति १०८, २२७, २४७ वनस्पतिकाय २२० वनीषक १५९ २८१ वराहमिहिर १७६ २५१ वरिसवकण्ह २७१ वरुण ७०, २३६ २५७ १३४, १३५ २०८ वर्णान्तर १३४, १३५ २४६, २४७, २४८ वर्णाभिलाषा १५३ १८३, २३१ वर्धमान ६९, ११८, १६७, १९०, ९१, ९९, १०१ २४७ १८३ वर्धमानपुर २८० १४६ वर्षाऋतु ११३, ११७, १२४ वर्षावास १६३ लांतक लिंग “लिच्छवी लिप्सु लीला २२९ लूता १६२ २२७ ७० वणं लेखन-पद्धति लेच्छई लेच्छकी लेण लेतियापिया लेव लेश्या लोक लोकबिंदुसार लोकवाद लोकवादी लोकविजय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348