Book Title: Jain Sahitya Ka Bruhad Itihas Part 1
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 321
________________ ३०४ जैन साहित्य का बृहद् इतिहास पृष्ठ २३० पृष्ठ १४५ २४४ २४४ २४४ २३१ शब्द तैत्तिरीयोपनिषद् तैल तोता त्योज अस त्रसभूत त्रिकालग्रंथहिद त्रिकाष्ठिका त्रिदंड त्रिदंडी त्रिवस्त्रधारी সিহাতা २१० १७३ २५२ २५२ २०७, २०८, २२९ ११३, ११४, १५४ १६६ १०५, १२५ २४८ २४४ १७६ २३७ त्रिष्ठभ १८२ त्रीन्द्रिय त्रेतायुग राशिक त्वगाहारी शब्द दर्शनान्तर दलसुखमालवणिया १५५, १९६, २१२ दवनमार्ग १९५ दशपूर्वधर दशरथ १७५ दशवकालिक ८३, १२४, १४५, १८५, २८४ दशवकालिकचूणि १०२ दशवकालिकनियुक्ति १२४ दशवकालिकवृत्ति ८८, १०२, १२४ दशवकालिक दशा २५७ दशार्णभद्र २६७ १६१ दान दानधर्म १९३, २५२ दानांमा २३७ दासकुल १५९ दासप्रथा १०८ २७६ दिगम्बर ७१, ८७, १७६ दिठिवाए ९२ दिठिवाओ ९२ दिठिवाय दिशाचर १०७, २४१ दिशाप्रोक्षक २३६ दीक्षा १०८, १५४ दीघतपस्सी दीघनिकाय १०३, १४२, १७५ दीप २३६ दीपंतपस्वी दीर्घदन्त २६७ दीर्घशंका दाह थंडिल थावच्चा थिमिम १९४ २५३ दंड ९५. २३७ १०८ २३७ २३७ दंडव्यवस्था दंतवक्त्र दंतक्खलिय दक्षिणकूलग दक्षिण-ब्राह्मणकुंडपुर दयानंद दर्पणप्रश्न दर्शन दर्शनशास्त्र ७५ २६९,२७३ १४९, १५० ७८ १२३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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