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जैन साहित्य का बृहद् इतिहास
सब ईंटें घर में पहुँच गई। इससे उस वृद्ध मनुष्य को राहत मिली । वासुदेव कृष्ण का यह व्यवहार अति सहानुभूतिपूर्ण मनोवृत्ति का निर्देशक है । चतुर्थ वर्ग में जाति आदि दस मुनियों की कथा है ।
कृष्ण की मृत्यु :
पांचवें वर्ग में पद्मावती आदि दस अंतकृत स्त्रियों की कथा है । इसमें द्वारका के विनाश की भविष्यवाणी भगवान् अरिष्टनेमि के मुख से हुई है । कृष्ण की मृत्यु की भविष्यवाणी भी अरिष्टनेमि द्वारा हो की गई है जिसमें बताया गया है कि दक्षिण समुद्र की ओर पांडुमथुरा जाते हुए कोसंबी नामक वन में बरगद के वृक्ष के नीचे जराकुमार द्वारा छोड़ा हुआ बाण बायें पैर में लगने पर कृष्ण की मृत्यु होगी। इस कथा में कृष्ण ने यह भी घोषित किया है कि जो कोई दीक्षा लेगा उसके कुटुम्बियों का पालन-पोषण व रक्षण मैं करूँगा ।
चौथे व पांचवें वर्ग के अन्तकृत कृष्ण के ही कुटुम्बीजन थे ।
अर्जुनमाली एवं युवक सुदर्शन :
छठें वर्ग में सोलह अध्ययन हैं । इसमें एक मुद्गरपाणि यक्ष का विशिष्ट अध्ययन है | इसका सार इस प्रकार है :
अत्यन्त आग्रहपूर्ण समझा कि यह
अर्जुन नाम का एक माली था । वह मुद्गरपाणि यक्ष का बड़ा भक्त था । प्रतिदिन उसकी प्रतिमा की पूजा-अर्चना किया करता था । उस प्रतिमा के हाथ में लोहे का एक विशाल मुद्गर था । एक बार भोगलोलुप गुंडों की एक टोली ने यक्ष के इस मन्दिर में अर्जुन को बाँध कर उसकी स्त्री के साथ अनाचारपूर्ण बरताव किया । उस समय अर्जुनमाली ने उस यक्ष की खूब प्रार्थना की एवं अपने को तथा अपनी स्त्री को उन गुण्डों से बचाने की विनती की किन्तु काष्ठप्रतिमा कुछ न कर सकी । इससे वह कोई शक्तिशाली यक्ष नहीं है । यह तो केवल काष्ठ है । जब वे गुण्डे चले गये एवं अर्जुनमाली मुक्त हुआ तो उसने उस मूर्ति के हाथ में से लोहमुद्गर ले लिया एवं उस मार्ग से गुजरनेवाले सात जनों को प्रतिदिन मारने लगा । यह घटना राजगृह नगर में हुई। यह देखकर वहाँ के राजा श्रेणिक ने यह घोषित कर दिया कि उस मार्ग से कोई भी व्यक्ति न जाय । जाने पर मारे जाने की अवस्था में राजा की कोई जिम्मेदारी न होगी । संयोगवश इसी समय भगवान् महावीर का उसी वनखण्ड में पदार्पण हुआ । राजगृह का कोई भी व्यक्ति, यहाँ तक कि वहाँ का राजा भी अर्जुनमाली के भय से महावीर को वन्दन करने न जा सका । पर इस राजगृह में सुदर्शन नाम एक युवक रहता था जो भगवान् महावीर का परम भक्त था । वह अकेला हो महावीर के वन्दनार्थ उस मार्ग से रवाना
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