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जैन साहित्य का बृहद् इतिहास बृहस्पतिदत्त :
पांचवीं कथा बृहस्पतिदत्त नामक पुरोहित-पुत्र की है। नगरी का नाम कौशांबी (वर्तमान कोसम गाँव), राजा का नाम शतानीक, रानी का नाम मृगावती, कुमार का नाम उदयन, कुमारवधू का नाम पद्मावती, पुरोहित का नाम सोमदत्त
और पुरोहित पुत्र का नाम बृहस्पतिदत्त है । बृहस्पतिदत्त पूर्वजन्म में महेश्वरदत्त नामक पुरोहित था। वह ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद में निपुण था। अपने राजा जितशत्रु की शान्ति के लिए प्रतिदिन ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र के एक-एक बालक को पकड़वाकर उनके हृदय के मांसपिण्ड से शान्तियज्ञ करता था। अष्टमी और चतुर्दशी के दिन दो-दो बालकों को पकड़वाकर शान्तियज्ञ करता था। इसी प्रकार चार महीने में चार-चार बालकों, छः महीने में आठ-आठ बालकों तथा वर्ष में सोलह-सोलह बालकों के हृदयपिण्ड द्वारा शान्तियज्ञ करता था। जिस समय राजा जितशत्रु युद्ध में जाता उस समय उसकी विजय के लिए ब्राह्मणादि प्रत्येक के एक सौ आठ बालकों के हृदयपिण्ड द्वारा शान्तियज्ञ करता था। परिणामतः राजा की विजय होती थी । महेश्वरदत्त मर कर पुरोहित सोमदत्त का बृहस्पतिदत्त नामक पुत्र हुआ। राजपुत्र उदयन ने इसे अपना पुरोहित बनाया। इन दोनों के पारस्परिक सम्बन्ध के कारण बृहस्पतिदत्त अन्तःपुर में भी आने-जाने लगा। यहां तक कि वह उदयन की पत्नी पद्मावती के साथ कामक्रीडा करने लगा। जब उदयन को इस बात का पता लगा तो उसने बृहस्पतिदत्त की बहुत दुर्दशा की तथा अन्त में उसे मरवा डाला । ___ इस कथा में नरमेघ व शत्रुध्न-यज्ञ का निर्देश है। इससे मालूम होता है कि प्राचीन काल में नरमेघ होते थे व राजा अपनी शान्ति के लिए नरहिंसक यज्ञ करवाते थे। इससे यह भी मालूम होता है कि ब्राह्मण पतित होने पर कैसे कुकर्म कर सकते हैं। नंदिवर्धन :
छठी कथा नंदिवर्धन की है। नगरी मथुरा, राजा श्रीदाम, रानो बंधुश्री, कुमार नंदिवर्धन, अमात्य सुबंधु व आलंकारिक (नापित) चित्र है। कुमार नंदिवर्धन पूर्वभव में दुर्योधन नामक जेलर अथवा फौजदार था। वह अपराधियों को भयंकर यातनाएं देता था। इन यातनाओं की तुलना नारकीय यातनाओं से की गई है। प्रस्तुत कथा में इन यातनाओं का रोमांचकारी वर्णन है। दुर्योधन मर कर श्रीदाम का पुत्र नंदिवर्धन होता है। उसे अपने पिता का राज्य शीघ्रातिशीघ्र प्राप्त करने की इच्छा होती है। इस इच्छा की पूर्ति के लिए वह अलंकारिक चित्र से हजामत बनवाते समय उस्तरे से श्रीदाम का गला काट
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