Book Title: Jain Natakiya Ramayan Author(s): Publisher: ZZZ Unknown View full book textPage 6
________________ धन्यवाद सब से प्रथम धन्यवाद तो उस देवाधिदेव वीतराग भगवान को है जिसका स्मरण करके प्रारंभ करने से संपूर्णता को प्राप्त हई । द्वितिय धन्यवाद पूज्य पिताजी ( बा० खुन्नामलजी रिटायर्ड गुड्स वर्लक ) को है । जिनकी छत्र छाया में मैंने यह पुस्तक लिखो और प्रकाशित को । तृतीय धन्यवाद श्री डा. गुजाबन्दजी पाटनी को है जिन्होंने मुझे इस पुस्त . क लिखते समय उत्साहित किया और जो सदा मुझे उन्नत मार्ग पर लगाने के इच्छुक रहते है। चतुर्थ धन्यवाद बा० बिरधोचन्द्रजी रारा ( जिन्होंने गानोंका संशोधन किया ) तथा पं० बनारसीदासजी प्रतिष्ठाचार्य का है । श्राप सज्जनोंने अपना अमूल्य समय देकर यह देखा कि कहीं धर्म विरुद्ध बात तो नहीं श्राई है। __इसमें दूसरे और पांचवें भाग में श्रीमान ज्योतिषस दजी की कर्ता खण्डन लावनी और द्यानतरायजी का सीता का भजन ये दो चीजें रखी गई हैं इसके लिये उक्त सज्जनों को धन्यवाद है। ___ संशोधन में जो अशुद्धियां रह गई हैं उनके लिये मुझे दुख है, पाठक गण मुझे उसके लिये क्षमा कर और शुद्ध करलें ।Page Navigation
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