Book Title: Jain Dharma me Aradhana ka Swaroop Author(s): Priyadivyanjanashreeji Publisher: Prachya Vidyapith ShajapurPage 14
________________ प्रकाण्ड विद्वान, प्रबुद्ध चिन्तक डॉ. सागरमलजी सा. जैन के पावन सान्निध्य एवं मागदर्शन में ज्ञानोपार्जन करके उन्होंने यह महत्त्वपूर्ण जनोपयोगी कार्य किया है। यह ग्रन्थ साधक आत्माओं के लिए प्रकाश स्तम्भ बनकर उनके हृदय पटल पर आच्छादित अज्ञान के आवरण को दूर करने का उत्तम आलंबन बनें। साध्वी प्रियदिव्यांजना श्रीजी श्रुत साधना, आराधना में सतत् गतिशील होकर स्व पर कल्याण में अग्रसर रहे यही अन्तर कामना और है। सह मंगल आशीष! ३१.५.०७ - सुलोचनाश्री पार्श्वमणि तीर्थ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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