Book Title: Jain Dharma me Aradhana ka Swaroop
Author(s): Priyadivyanjanashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 540
________________ नाम सांसारिकनाम जन्मस्थान पिताश्री मातुश्री दीक्षा दीक्षा स्थल लघुदीक्षादाता बड़ी दीक्षा दाता दीक्षा गुरू विहार क्षेत्र लेरिखका एक परिचय.... साध्वी प्रियदिव्यांजनाश्री शशिकला झाबक चैन्नई (मद्रास) हेमचंद्रजीसा. झाबक यशबाला झाबक 8/8/1973 23/2/1994 चैन्नई (मद्रास) श्रीमद् विजयकलापूर्ण सूरिश्वरजी म.सा. उपाध्याय प्रवर श्री मणिप्रभसागरजी म. सा. पार्श्वमणि तीर्थ प्रेरिका प.पू. सुलोचना श्री जी म. सा. तामिलनाडु, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, आंधप्रदेश, कर्नाटक हिन्दी, संस्कृत, तर्क-न्याय, व्याकरण, आगम आदि एम.ए.-जैन विद्या और तुलनात्मक धर्म-दर्शन पीएच.डी.-संवेगरंगशाला में साधना और आराधना स्वरूप मासक्षमण, वर्षीतप, वीशस्थानक तप, वर्धमान आयम्बिल तप, अट्ठाई, नवपद ओली अल्पवय में ही आपने ज्ञान, साधना, और तप आराधना के शिखर को छुआ है। आपका तप एवं संयम से विभूषित आपका जीवन प्रेरणादायी है / / वाक्पटुता एवं प्रफुल्लित सौम्य चेहरा प्रत्येक व्यक्ति को प्रभावित करता है। आपका जीवन आत्मचिंतन, तप-त्यागमय जीवन, मधुरवाणी, सरलता, क्षमा, परोपकार आदिगुणों से सुरभित है। अध्ययन तपश्चर्या विशेषता Jain Education International For Privat Printed at Akrati Offset. MAIN Ph. 0734-2561720, 9827242489298376 77710

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