________________
स्थानकवासी एवं तेरापंथी परम्परा में प्रसिद्ध हैं। श्रमणी संघ में तप-त्याग और समर्पण के साथ-साथ लेखान, सम्पादन, काव्यकला, चित्रकला क्राफ्ट, सूक्ष्माक्षर लिपि, कला एवं चिकित्सा, ध्यान चिकित्सा आदि का विकास हुआ जो अक्षुत व बेजोड़ है।
ऐसे महत्वपूर्ण श्रमणीसंघ की नामावली व उनका लेखा-जोखा सचमुच में एक स्तुत्य प्रयास है। यह कार्य एक स्थान पर बैठकर सम्पन्न नहीं किया जा सकता। यायावर अन्वेषक बनकर ही इसे किया जा सकता है। जैन धर्म का श्रमणी-संघ और उसका अवदान' विषय पर गुरुकाय शोधप्रबन्ध लिखकर डॉ. साध्वी विजयाश्री जी ने उन सभी चारित्र आत्माओं के प्रति सच्ची श्रद्धा अर्पित की है। उससे भी आगे यह कार्य नारी जाति का सच्चा सम्मान है। इस कार्य के लिए साध्वी जी को कोटिशः साधुवादा
पटियाला 1 जून, 2006
डॉ. प्रद्युम्नशाह सिंह
प्रवक्ता जैनीज्म गुरुगोविन्द सिंह भवन पंजाबी विश्वविद्यालय, पटियाला
| (xix) |
(xix)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org