Book Title: Jain Dharm me Aachar Shastriya Siddhant Part 01
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Jain Vidya Samsthan

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Page 10
________________ का जीवन (121), व्रतों के उचित पालन के लिए किन्हीं विचारों की पुनरावृत्ति और उनका चिन्तन ( 121-122), मूलगुणों की धारणा (122-123), रात्रिभोजन की समस्या ( 123 124 ), गुणव्रत और शिक्षाव्रत की विभिन्न धारणाएँ ( 124 - 127 ), दिव्रत का स्वरूप ( 127 128 ), देशव्रत का स्वरूप (130-133), अनर्थदण्डव्रत का स्वरूप ( 133134), अनर्थदण्ड के प्रकार ( 134-137), भोगोपभोगपरिमाणव्रत का स्वरूप ( 137-138), भोगोपभोगपरिमाणव्रत में दो प्रकार से त्याग (138-139), भोगोपभोगपरिमाणव्रत गुणव्रत और शिक्षाव्रत के रूप में (139), सामायिक का स्वरूप (140-142), प्रोषधोपवासव्रत का स्वरूप ( 142143) ; प्रोषधोपवासव्रत की प्रक्रिया (143 - 144 ), प्रोषधोपवासव्रत और पाँच पाप (144), अतिथिसंविभागव्रत का स्वरूप ( 144 - 147), गृहस्थ के नैतिक आचरण का दो प्रकार से निरूपण व्रत और प्रतिमा के रूप में (147148 ), दोनों प्रकारों में समन्वय ( 148 - 149 ), ग्यारह प्रतिमाएँ (149-150), दर्शन प्रतिमा ( 150-152), व्रत प्रतिमा ं (152), सामायिक और प्रोषध प्रतिमा ( 152154), शेष प्रतिमाएँ ( 154 - 156 ), गृहस्थ के नैतिक आचरण की व्याख्या का सुव्यवस्थित तीसरा प्रकार ( 156158), सल्लेखना का स्वरूप और इसका आत्मघात से भेद (158 - 160), सल्लेखना की प्रक्रिया (160 - 161 ) । सन्दर्भ-ग्रन्थ-सूची 162-165 Jain Education International (IX) For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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