Book Title: Jain Dharm Ek Zalak Author(s): Anekant Jain Publisher: Shantisagar Smruti Granthmala View full book textPage 8
________________ के प्रभावशाली व्यक्तित्व से प्रेरणा पाकर अपने समाज एवं राष्ट्र के लिए कुछ नया तथा महत्वपूर्ण कर गुज़रने की इच्छा जाग्रत हुई है। इसी क्रम में जैन धर्म तथा दर्शन को जन-जन तक पहुँचाने के लिए एक लघु पुस्तक की आवश्यकता को पूज्यश्री ने अनुभव किया। पूज्यश्री की प्रेरणा पाकर डॉ० अनेकांत जैन जी ने अथक परिश्रम करके प्रस्तुत कृति 'जैन धर्म -एक झलक' की रचना की है। सरल तथा सहज भाषा में लिखित यह कृति समाज के सभी वर्गों तथा जैनेत्तर समाज ने हाथोंहाथ ली। अल्प समय में ही पुस्तक के अनेक संस्करणों में लगभग 20,000 प्रतियों के प्रकाशन से इस पुस्तक की लोकप्रियता प्रमाणित होती है। इस पुस्तक का अनुवाद कन्नड़ में भी हो चुका है। पुस्तक का यह नवीन संस्करण आवश्यक संशोधन तथा परिमार्जन के साथ इस आशा से प्रकाशित किया जा रहा है कि पुस्तक और भी उपयोगी बने। अंत में मैं इस पुस्तक प्रकाशन से जुड़े अपने सभी सहयोगियों को हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ एवं कामना करता हूँ कि उनका सक्रिय सहयोग हमें सदैव प्राप्त होता रहे। महामंत्री श्रुत संवर्द्धन संस्थानPage Navigation
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