Book Title: Jain Dharm Ek Zalak
Author(s): Anekant Jain
Publisher: Shantisagar Smruti Granthmala

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Page 66
________________ था। इस दिन पूरा देश उन्हें याद करता है। तीर्थंकर ऋषभदेव की मान्यता वेद-पुराणों में भी है, अतः वैदिक धर्म के अनुयायी भी उनका स्मरण श्रद्धापूर्वक करते हैं। महावीर जयंती चैत्र शुक्ला जयंती त्रयोदशी के दिन भगवान महावीर का जन्म हुआ था। यह उनका अंतिम जन्म था और इसी जन्म में उन्होंने निर्वाण प्राप्त किया। अतः उनका जन्मोत्सव संपूर्ण भारतवर्ष ज़ोर-शोर से मनाता है। भगवान महावीर अंतिम तीर्थंकर थे इसलिए वर्तमान में उन्हीं का शासन माना जाता है। भारत सरकार महावीर जयंती के दिन सरकारी अवकाश भी रखती है ताकि सभी भगवान महावीर की शिक्षाओं को अपनाने के लिए उन्हें याद कर सकें। __इस प्रकार शेष बाईस तीर्थंकरों की जन्म जयंतियाँ भी पर्व के रूप में मनाई जाती हैं। दीपावली कार्तिक कृष्णा अमावस्या को प्रातः भगवान महावीर का निर्वाण हुआ था तथा शाम को उनके प्रमुख शिष्य गौतम गणधर को केवलज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसी उपलक्ष्य में जैन धर्मानुयायी प्रातःकाल भगवान महावीर के सम्मुख निर्वाण लड्ड चढ़ाते हैं तथा शाम को घरों में ज्ञान के प्रतीक दीपक जलाकर पूजन-पाठ करते हैं। रक्षाबंधन पर्व श्रावण शुक्ला पूर्णिमा के दिन विष्णुकुमार मुनिराज ने महान तपस्वी संत अकंपनाचार्य आदि सात सौ मुनियों की विपत्ति से रक्षा की थी। तभी से रक्षाबंधन पर्व जैन धर्म का एक प्रमुख पर्व बन गया। इस दिन रक्षा की आकांक्षा से बहनें भाइयों को रक्षासूत्र-राखी तो बाँधती ही हैं साथ ही सभी साधर्मी भाई-बहन जिन मंदिर में जाकर मंदिर की राखी भी बाँधते हैं। धर्म की रक्षा, तीर्थं की रक्षा तथा साधर्मी की रक्षा का वचन भी रखते हैं। श्रुत पंचमी ज्येष्ठ शुक्ला पंचमी के दिन जैन परंपरा के प्राचीन आगम षट्खंडागम की रचना आचार्य धरसेन के शिष्य पुष्पदंत और भूतबली ने गिरनार पर्वत पर पूर्ण की थी। इसी दिन जिनवाणी की पूजन भी हुई थी। उसी दिन से श्रुत पंचमी का पर्व जैन समाज में विशेष रूप से मनाया जाता है। इस दिन शास्त्र भंडारों से शास्त्र बाहर निकाले जाते हैं, उनकी साफ़-सफ़ाई होती है तथा उन पर नए वस्त्र या कवर लगाए जाते हैं। उनके पूजन का विशेष आयोजन होता है। अक्षय तृतीया वैशाख शुक्ला तृतीया के दिन तीर्थंकर ऋषभदेव ने उपवास के बाद प्रथम पारणा कर इक्षु रस का पान किया था। राजा श्रेयांस ने उन्हें इक्षु रस से आहार कराया | जैन धर्म-एक झलक

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