Book Title: Jain Dharm Ek Zalak
Author(s): Anekant Jain
Publisher: Shantisagar Smruti Granthmala

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Page 67
________________ था। यह पर्व आखा तीज के रूप में भी विख्यात है। जैन धर्मानुयायी वर्ष भर के व्रतों का उद्यापन इस दिन करते हैं। इस दिन इक्षु रस ग्रहण करने की भी परंपरा है। दशलक्षण महापर्व दशलक्षणपर्युषण महापर्व जैन धर्मानुयायियों के सर्वाधिक प्रसिद्ध व पवित्र दिन माने जाते हैं। ये पर्व वर्ष में तीन बार आते हैं (1) भाद्रपद सुदी पंचमी से चतुर्दशी तक (2) माघ सुदी पंचमी से चतुर्दशी तक (3) चैत्र सुदी पंचमी से चतुर्दशी तक लगातार दस दिनों तक चलने वाले इन व्रत-पर्यों में मंदिरों में विशेष अनुष्ठान होते हैं। इन दश दिनों में आत्मा के दशधर्मों, उत्तम क्षमा, मार्दव, आर्जव, सत्य, शौच, संयम, तप, त्याग आकिंचन्य और उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म की आराधना की जाती है। लोग अनशन, ऊनोदर आदि व्रत-उपवास करके इन दश दिनों में विशिष्ट पूजाएँ करते हैं। अंतिम दिन अनंत चतुर्दशी को बच्चों से लेकर बड़े तक सभी उपवास रखते हैं। क्षमावाणी पर्व ___दशलक्षण महापर्व समाप्ति के एक दिन बाद आसौज कृष्णा एकम् को क्षमावाणी पर्व मनाया जाता है। यह अपने आपमें अनूठा पर्व है। इस दिन सभी लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे से अपनी भूलों के लिए हृदय से क्षमा-याचना करते हैं। क्षमावाणी कार्ड भेजकर तथा फ़ोन द्वारा दूर बैठे भाइयों से भी क्षमा-याचना करते हैं। विश्वशांति की स्थापना के लिए जैन धर्म ने यह एक अनूठी पहल की है। अष्टाह्निका महापर्व ____ यह पर्व भी वर्ष में तीन बार आता है। कार्तिक, फाल्गुन और आषाढ़ मास के अंतिम आठ दिन तक यह पर्व भी बहुत उत्साहपूर्वक व्रत-उपवास करके मनाया जाता है। इन दिनों नंदीश्वर द्वीप पर बने हुए 52 अकृत्रिम जिन चैत्यालयों की वंदना करने के लिए जाते हैं। अतः जैन अनुयायी श्रावक लोग परोक्ष रूप से नंदीश्वर द्वीप पर बने अकृत्रिम जिन चैत्यालयों की पूजा नंदीश्वर विधान के माध्यम से करते हैं। कई स्थानों पर इन दिनों सिद्धचक्र महामंडल विधान का भी आयोजन होता है, जिसमें सिद्ध भगवान के गुणों की आराधना होती है। षोडशकारण पर्व यह पर्व भाद्रपद, माघ तथा चैत्रवदी को तीस दिनों का होता है। तीर्थंकर पद की प्राप्ति के लिए दर्शनविशुद्धि आदि सोलह भावनाओं को कारण माना जाता है, अतः इन्हें सोलहकारण भावना कहते हैं। इन दिनों में भी श्रावक विशेष रूप से भक्ति-पूजन तथा व्रत-उपवास करते हैं। __ जैन धर्म-एक झलक

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