Book Title: Jain Dharm Ek Zalak Author(s): Anekant Jain Publisher: Shantisagar Smruti Granthmala View full book textPage 7
________________ (प्रकाशकीय) जैन वाङ्गमय, पांडुलिपियों एवं अप्रकाशित प्राचीन ग्रंथों का प्रकाशन हो, अनुपलब्ध तथा महत्वपूर्ण कृतियों का पुनर्प्रकाशन हो, इस हेतु सराकोद्धारक राष्ट्रसंत आचार्यरत्न श्री ज्ञानसागर जी महाराज सतत प्रयत्नशील रहते हैं। इसी पवित्र उद्देश्य को लेकर आचार्यश्री की प्रेरणा से कई महत्वपूर्ण संस्थाओं; यथा- श्रुत संवर्द्धन संस्थान, प्राच्य श्रमण भारती एवं संस्कृति संरक्षण संस्थान आदि संस्थाओं का गठन पूज्यश्री की प्रेरणा से हुआ है। हर्ष का विषय है कि सभी संस्थाएँ पूज्यश्री के इस संकल्प को साकार करने में संयुक्त रूप से एक-दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रही हैं। अल्प समय में ही इन संस्थाओं के माध्यम से तथा पूज्य आचार्यश्री के मंगल आशीर्वाद से शताधिक महत्वपूर्ण ग्रंथों का प्रकाशन किया गया है। तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा', 'जैन धर्म', 'जैनशासन', 'मानवता की धुरी', 'एक अहिंसात्मक जीवन-शैली', 'आप बनें सर्वश्रेष्ठ', 'ज्वलंत प्रश्न शीतल समाधान', 'ज्ञान के हिमालय', 'बड़े भैया की पाती' तथा 'जैन धर्म -एक झलक' जैसी अनेक कृतियों के प्रकाशन ने केवल जैन समाज में ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय क्षितिज पर नई दस्तक देकर अनेक कीर्तिमान स्थापित किए हैं। षट्खंडागम जैसे वृहद् प्राकृत आगम ग्रंथों का भी प्रकाशन करके भगवान महावीर की मूलवाणी को सुरक्षित रखने का कार्य भी पूज्य आचार्यश्री की पावन प्रेरणा एवं आशीर्वाद से संभव हो सका है। ‘सत्प्ररूपणासार' भी षटखंडागम पर आधारित है। इसका कुशल संपादन डॉ० अनेकांत जैन जी ने किया है तथा ग्रंथमाला से वह ग्रंथ भी प्रकाशित हुआ है। - पूज्यश्री की पावन प्रेरणा एवं आशीर्वाद से श्रुत संवर्द्धन संस्थान, संस्कृति संरक्षण संस्थान आदि संस्थाओं के तत्वावधान में अनेक ऐतिहासिक कार्य हुए हैं। इन महत्वपूर्ण कार्यों में संस्कारों के शंखनाद कराने वाले धार्मिक शिविर, सराक धार्मिक शिक्षण शिविर, वार्षिक श्रुत संवर्द्धन पुरस्कार, प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले ऑल इंडिया जैन डॉक्टर्स कांफ्रेन्स, अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक कांफ्रेन्स, अखिल भारतीय एडवोकेट्स कांफ्रेन्स, न्यायविद्, I.A.S., I.P.S. तथा उच्च पदों पर विराजमान शासकीय अधिकारियों की कांफ्रेन्स, जैन विद्वत्संगोष्ठी, शास्त्र वाचनाएँ आदि प्रमुख हैं। इन सभी आयोजनों से जहाँ बुद्धिजीवी वर्ग को नई दिशा प्राप्त हुई है वहीं पूज्यश्रीPage Navigation
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