Book Title: Jain Dharm Ek Zalak
Author(s): Anekant Jain
Publisher: Shantisagar Smruti Granthmala

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Page 27
________________ यदि हम भारत की इस प्राचीन संस्कृति के हार्द को समझना चाहते हैं और हमारा विश्वास इस बात पर है कि भारतीय संस्कृति को समझने के लिए दुराग्रह से हटकर हमें जैन धर्म-दर्शन तथा संस्कृति का अध्ययन करना चाहिए तो उसकी शुरूआत हम उपरोक्त ग्रंथों को पढ़कर कर सकते हैं। 00 सिंधु घाटी और जैन धर्म ऋग्वेद में ऋषभदेव का उल्लेख एक महापुरुष के रूप में मिलता है। ऋग्वेद वेदों का सबसे प्राचीन ग्रंथ है जिसकी रचना अधिकांश विद्वानों के अनुसार लगभग ईसा पूर्व 3000 मानी जाती है। सिंधु घाटी की सभ्यता वैदिक सभ्यता से पुरानी है। सिंधु घाटी के निवासियों की बोलचाल की भाषा संभवतः प्राकृत थी और उसी भाषा में वहाँ जैन धर्म का प्रचार था। ऐसा मानने पर ऋग्वेद द्वारा जैनों के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव का उल्लेख किया जाना असंगत नहीं लगता। (जैनधर्म-सार संदेश पुस्तक के चयनित अंश) -प्रो०(डॉ०) काशीनाथ उपाध्याय, अध्यक्ष-दर्शन विभाग, हवाई विश्वविद्यालय अमेरिका, पृ० 25 जैन धर्म-एक झलक ।

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