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विज्ञान
विज्ञान में उस प्रकार महत्त्वपूर्ण ग्रन्तर होते हुए भी दोनों में कुछ नाग्य भी है। विज्ञान और दर्शन दोनों का एक सामान्य है और वह है | स्पष्टीकरण का ग्रोवनका संयुक्तीकरण | ज्ञान का संयुक्तीकरण अर्थात् विशेष सत्य का सामान्य सत्य के सिद्धान्तों में परिवर्तन । यद्यपि विज्ञान दोनों स्पष्टीकरण के सामान्य उद्देश्य को नामने यस कार धागे बढ़ते है, किन्तु विज्ञान उसके अन्तिम छोर तक नहीं पहुँच पाता, जबकि दर्शन विज्ञान को पीछे छोड़ा बह जाता है और सत्य के अन्तिम किनारे तक जा पहुंचना है । कई दार्शनिकों की का पारणा भी है कि वास्तव में दर्शन का कार्य वहीं से प्रारंभ होना है जर्म पर विज्ञान का कार्य समाप्त होता है। हृदय जगत का जितना अनुभवजन्य और साधारण विवेचन तथा क होता है, यह विज्ञान के क्षेत्र के ग्रन्तर्गत धाता है । जहाँ पर विमान का पनुभव कुछ कार्य नहीं कर सकता. 'वैज्ञानिक ग्रवलोकन की गति गद ही नहीं प्रपित हो जाती है. वहां से दर्शन को गीन प्राय गीत है। कोमोज का श्रन्त स्वयं सत्य का धन है । वर्ष तक नही कहाँ तक दर्शन है और जहां तक दर्शन
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धर्म और विज्ञान :