Book Title: Itihas ki Dharohar evam Karm Prashnottari Author(s): Pragunashreeji, Priyadharmashreeji Publisher: Pragunashreeji Priyadharmashreeji View full book textPage 8
________________ प्रश्नोत्तरी दी है। जिसमें आठों कर्मों का तथा आठ करण का सरल हिन्दी भाषा में वर्णन किया है। इस प्रश्नोत्तरी को लिखने में प्रवचन प्रभाविका, शिविर संचालिका, मृदुभाषी, साध्वीश्री प्रियधर्माश्रीजी म. ने अत्यधिक परिश्रम किया है तथा इस पुस्तक को व्यवस्थित करने का काम भी सा. प्रियधर्माश्रीजी ने किया है। सा. श्री प्रियरत्नाश्रीजी, सा. श्री प्रियसुधाश्रीजी म. ने प्रफ देखने में खूब परिश्रम किया है। कोई भी कार्य व्यक्ति अपनी शक्ति से नहीं करता है। उसके पीछे गुरुजनों का आशीर्वाद होता है। हमारी परम उपकारी, संसार-सागर से तारने वाली, वीर वाणी का अमृतपान कराकर प्रकृति का परिवर्तन कराने वाली, ज्ञान दान द्वारा आध्यात्मिक का पान कराने वाली, अणु-अणु में व्यापक, शासन प्रभाविका गुरुवर्या, गुरुमाता पू. श्री जसवन्तंश्रीजी म. की अदृश्य परमकृपा से ही इस पुस्तक को प्रारम्भ किया और पूर्ण किया। हमारे में कहाँ शक्ति है कि हम कुछ लिख सके। आज हम जो कुछ भी हैं पू. गुरुणीजी म. के आशीर्वाद के कारण ही है। प्रस्तुत पुस्तक को छपाने में अनेक महानुभावों ने अपनी सम्पत्ति का सदुपयोग किया है। श्रुत सेवा का लाभ भी पुण्योदय से ही प्राप्त होता है। ज्ञान भक्ति के रागी, सुकृत में सहयोगी व्यक्तियों की नामावली भी पुस्तक में दी गई है। पाठकों से अनुरोध है कि पुस्तक को शान्त चित्त से और एकान्त शान्त स्थान पर बैठ कर पढ़ने का प्रयास करें। जैसे बरसात धीमे-धीमें बरसे तो पानी धरती और मिट्टी के भीतर समा जाता है उसी प्रकार पुस्तक का वांचन धीमी गति से तथा विचारपूर्वक किया जाए तो भाव आत्मा को स्पर्श कर जाते हैं। हृदय-स्पर्शी वांचन ही हितकारी होता है। इस पुस्तक में यदि कोई त्रुटि हो गई हो तो पाठक हंसचंचु की भाँति पढ़ें। जिनाज्ञा विरुद्ध कुछ लिखा हो तो मन, वचन, काया से मिच्छामि दुक्कडं। शासन प्रभाविका पंजाबी सा. श्री जसवन्तश्रीजी म. की सुशिष्या - सा. प्रगुणाश्रीPage Navigation
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