Book Title: Indrabhuti Gautam Ek Anushilan Author(s): Ganeshmuni, Shreechand Surana Publisher: Sanmati Gyan Pith AgraPage 26
________________ सांस्कृतिक अवलोकन तीर्थंकरों के विभिन्न गणों एवं गणधरों की नामावली प्राप्त होती है । जिससे यह जाना जा सकता है कि प्रत्येक तीर्थंकर के तीर्थ में गणधर एक अत्यावश्यक उत्तरदायित्व पूर्ण महान प्रभावशाली व्यक्तित्व होता है। समवायांग सूत्र में बताया है-श्रमण भगवान महावीर के ग्यारह गण एवं ग्यारह गणधर थे। __ कल्पसूत्र में नौ गण एवं ग्यारह गणधर बताये हैं,८ तथा प्रत्येक गणधर के नाम, गोत्र, शिष्य, परिवार आदि का विस्तृत लेखा जोखा भी दिया गया है । उनकी योग्यता, ज्ञान-क्षमता एवं साधना तथा निर्वाण भूमि का परिचय भी उससे प्राप्त हो जाता है । आवश्यक नियुक्ति में आचार्य भद्रबाहु ने गणधरों का संक्षिप्त परिचय देते हुए निम्न विवरण दिया है।' इन्द्रभूति, वायुभूति एवं अग्निभूति—ये तीन गणधर मगध जनपद के गोबर ग्राम में जन्में, तीनों गौतमगोत्री थे । व्यक्त एवं सुधर्मा गणधर का जन्म स्थल कोल्लाग सन्निवेश तथा क्रमशः भारद्वाज एवं अग्निवेश्यायन गोत्र के थे। मंडित तथा मोर्यपुत्र मोर्यसन्निवेश में, एवं अचल गणधर कौशला तथा अकंपित का जन्म मिथिला में हुआ । इनके गोत्र क्रमशः वशिष्ठ, काश्यप, गौतम एवं हारीत थे। मेतार्य गणधर का जन्म वत्स भूमि (कोशांबी) का तुगिक सन्निवेश में और प्रभास गणधर का जन्म ७. समणस्सणं भगवओ महावीरस्स एक्कारसगणा एक्कारस गणहरा होत्था तं जहा-इन्दभूई, अग्गिभूई..... ''सम० स० ११ समणस्स भगवओ महावीरस्स नवगणा एक्कारस गणहरा होत्था -कल्पसूत्र (स्थविरावली) सूत्र २०१ मगहा गोब्वर गामे जाया तिण्णव गोयमस गोत्ता। कोल्लागसन्निवेसे जाओ विअत्तो सुहम्मो य । ६४३ । मोरिय सन्निवेसे दो भायरो मंडमोरिया जाया । अचलोय कोसलाए मिहिलाए अकंपियो जाओ। ६४४ । तुगिय सन्निवेसे मेयज्जो वच्छभूमिए जाओ। भगवं पियप्पभासो रायगिहे गणहरो जाओ । ६४५ । तिण्णिय गोयम गोत्ता भारद्दा अग्गिवेस वासिट्ठा। कासवगोयम-हारिय-कोडिण्ण दुगं च गोत्ताई। ६४९ । -आवश्यक नियुक्ति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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