Book Title: Indrabhuti Gautam Ek Anushilan
Author(s): Ganeshmuni, Shreechand Surana
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 162
________________ श्री गौतम रास Jain Education International सोलमा सोना सारखा जी, अति सुन्दर वर्ण शरीर । कंचन कसौटी चढ़ावियो, भगवती में कह्यो महावीर जी । जाने दीठा हर्षित हीर जी, स्वामी सायर जिम गम्भीर जी । बली खम दम संजम धीर जी, जांरी वाणी मीठी खांड खीर जी । मीठी क्षीर समुद्र ज्यू नीर जो, छह काय जीवांरां पीर जी । हुआ वीर तणां बजीर जी, श्री गौतम स्वामी में गुण घणा गौरा ने घणा फुटरा जी, कोमल देही जारी कंचन दिपु दिपु करे, देवता पिण कितरिक बात जी । रोग रहित काया सात हाथ जी, घणा रह्या गुरां जी रे साथ जी। सेवा कीधी दिन ने रात जी, पूछा कीधी जोडी दोनों हाथ जी । जां कहूँ कठाला बात जी, जांरे वीर दियो माथे हाथ जी । हुआ तीन भुवनरा नाथ जी, श्री गौतम स्वामी में गुण घणा" गात 1 प्रथम संघयण संठाण सु जी, गुण गहिरा भरपूर 1 में बस रह्या, बलि तपस्या घोर करूर जी । ब्रह्मचर्य For Private & Personal Use Only १४७ www.jainelibrary.org

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