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श्री गौतम रास
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सोलमा सोना
सारखा जी,
अति सुन्दर वर्ण शरीर । कंचन कसौटी चढ़ावियो, भगवती में कह्यो महावीर जी । जाने दीठा हर्षित हीर जी, स्वामी सायर जिम गम्भीर जी । बली खम दम संजम धीर जी,
जांरी वाणी मीठी खांड खीर जी । मीठी क्षीर समुद्र ज्यू नीर जो,
छह काय जीवांरां पीर जी । हुआ वीर तणां बजीर जी,
श्री गौतम स्वामी में गुण घणा
गौरा ने घणा फुटरा जी, कोमल देही जारी
कंचन
दिपु दिपु करे,
देवता पिण कितरिक बात जी । रोग रहित काया सात हाथ जी, घणा रह्या गुरां जी रे साथ जी। सेवा कीधी दिन ने रात जी,
पूछा कीधी जोडी दोनों हाथ जी । जां कहूँ कठाला बात जी,
जांरे वीर दियो माथे हाथ जी । हुआ तीन भुवनरा नाथ जी,
श्री गौतम स्वामी में गुण घणा"
गात 1
प्रथम संघयण संठाण सु जी,
गुण गहिरा भरपूर 1 में बस रह्या, बलि तपस्या घोर करूर जी ।
ब्रह्मचर्य
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