Book Title: Indrabhuti Gautam Ek Anushilan
Author(s): Ganeshmuni, Shreechand Surana
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 166
________________ श्री गौतम रास.. तपसी मोटा काकड़ा भूत जी, प्रभु गया जमारो जीत जी। धर्म ध्यानी जीवांरा मीत जी, श्री गौतम स्वामी में गुण घणा......." ज्ञान, दर्शन, चारित्र भषी जी, पाले निरः अतिचार । बेले .बेले । पारणा प्रभु, जीत्या रागः ने रीस जी। जारी करणीः बिसवाबीस जी, जारो भजन कियो निशदिस जी। पूरो मननी सकल जगीस जी, जाने नमाऊँ म्हारो, शीस जी। श्री गौतम स्वामी में गुण पणा"..... स्व-मुख वीर वखाणिया जी, 'गौतम ने तिण बार । चर्चावादी .. तू... अतिघणो, हेतु युक्ति अनेक प्रकार जी । पाखण्डिया रो जीतण हार जी, - बीजा , साधु सहू थारी लार जी। सांभली हिवड़ो हर्ष अपार जी, . तीरथनाथ निकाल दियो तार जी। श्री गौतम स्वामी में मुण घणा"...." संसार समुद्र जाणने जी, मोह कर्म । कियो छार । अनित्य । भावना भायने, पायो केवल दर्शन सार जी। गौतम स्वामी बड़ा गणधार जी, आप तिर्या घणा दिया तार जी। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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