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इन्द्रभूति गौतम प्रकार के व्यक्ति कहते हैं- अन्योन्य निरपेक्ष शील और श्रुत श्रेय हैं -- भगवन् ! इनमें किसका कथन योग्य है ?
भगवान-गौतम ! उन सभी का कथन मिथ्या है । (ऐकांतिक होने से) संसार में चार प्रकार के पुरुष हैं
१. शील संपन्न हैं, किन्तु श्रु त संपन्न नहीं, २. श्रुत संपन्न हैं, किन्तु शील संपन्न नहीं, ३. शील संपन्न भी हैं और श्रुत संपन्न भी, ४. शील संपन्न भी नहीं और श्रुत संपन्न भी नहीं।
प्रथम कोटि का पुरुष पाप से उपरत है, किन्तु ज्ञान से रहित है, वह अंशतः धर्म का आराधक है।
दूसरी कोटि का पुरुष-पाप से निवृत नहीं है, किन्तु ज्ञानवान है, वह अंशतः धर्म का विराधक है।
तीसरी कोटि का पुरुष-पाप से निवृत्त भी है और ज्ञानी भी है, वह सम्पूर्ण रूप से धर्म का आराधक है।
चौथी कोटि का पुरुष-पाप से निवृत्त भी नहीं है और धर्म ज्ञान से रहित भी है, वह पुरुष सम्पूर्ण रूप से धर्म का विराधक है।८
दीर्घायुष्य का कारण
गौतम ने पूछा- "भगवन् ! जीव किस कारण से अल्पकालिक आयुष्य बांधता है?
भगवान—“गौतम ! तीन कारण से---हिंसा करने से, असत्य वचन बोलने से, श्रमण ब्राह्मण को सदोष आहार पानी देने से ।"
गौतम-“भगवन् ! जीव किस कारण से दीर्घायुष्य बांधने के निमित्त भूत कर्म बांधता है ?"
२८. भगवती श० ८ । उ० १०
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