________________
८६
इन्द्रभूति गौतम
1
एक बार भगवान महावीर जनपद विहार करते हुए किसी वन से गुजर रहे थे । मार्ग में किसी खेत पर एक किसान को हल चलाते हुए देखा । चिलचिलाती धूप में वह किसान दुर्बल बैलों को बड़ी नृशंसता से पीट-पीट कर आगे धकेल रहा था । बैलों की पीठ पर रस्सियों के दाग जम गये थे, बिचारे भूखे प्यासे बैल धूप में हल के जुए को गिरा कर बैठने की चेष्टा कर रहे थे और किसान उन्हें बैंत से पीट कर हांकने का यत्न कर रहा था । करुणावतार भगवान महावीर ने जब यह हृदय द्रावक दृश्य देखा तो गौतम से कहा- -" गौतम ! जाओ इस किसान को उपदेश से प्रतिबुद्ध करो ।"
गौतम प्रभु की आज्ञा लेकर किसान के निकट पहुँचे । बैल हाँक रहे थे, फिर भी किसान उन पर बैंत की वर्षा करता हुआ आगे धकेल रहा था । गौतम ने किसान को सरल एवं सीधी भाषा में उपदेश दिया। भले ही किसान के समक्ष गरीबी की समस्या रही हो, पेट भरने की पुकार ने उसे इस क्रूरता का पाठ सिखाया हो, पर उसका एकमेव समाधान 'अर्थ' ही तो नहीं था । हृदय परिवर्तन से भी उसका कोई समाधान निकल सकता था और वही समाधान गौतम ने दिया । कृषक पर उपदेश का ऐसा जादू हुआ कि वह खेती और बैलों को छोड़कर गौतम का शिष्य बन गया । गौतम ने उसे अपने धर्माचार्य के पास चलने को कहा - किसान ने कहा- मेरे गुरु तो आप ही हैं । तब गौतम ने उसके समक्ष भगवान के दिव्य अतिशयों का वर्णन कर उस नव प्रव्रजित शिष्य को भगवान के निकट लेकर आये । नव प्रव्रजित किसान जैसे जैसे भगवान के समीप आया उसके हृदय में भय एवं आवेश की भावना जगने लगी । भगवान महावीर को देखते ही उसका रोम-रोम कांप उठा जैसे बर्फीले तूफान से पौधे कांप उठते हैं ।
उसने कहा- मैं इनके पास नहीं जाऊँगा ।
गौतम - ये ही तो अपने धर्माचार्य हैं ।
किसान - 'ये ही तुम्हारे गुरु हैं तो तुम्हीं रखो, मुझे नहीं चाहिए' यह कह कर वह भयभ्रांत होकर पीछे से खिसक गया । गौतम स्वामी ने जब नव-शिष्य को भगवान के समक्ष उपस्थित करने की भावना से पीछे देखा, तो वह तो जंगल की ओर उलटे पाँवों दौड़ रहा था जैसे कोई हरिण बंधन से छूटकर दौड़ रहा हो । आश्चर्य चकित गौतम ने भगवान से पूछा - "भन्ते ! यह क्या अभूतपूर्व देख रहा हूँ । भयत्रस्त एवं अशरण व्यक्ति आपके चरणों में आकर त्राण एवं शरण पाते हैं, किन्तु यह मेरा नव प्रव्रजित शिष्य तो आपको देखकर भयभीत हुआ भाग रहा है ।"
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org