Book Title: Hindi Sahitya Abhidhan 1st Avayav Bruhat Jain Shabdarnav Part 01
Author(s): B L Jain
Publisher: B L Jain

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Page 10
________________ और फिर कुछ वर्ष पश्चात् हिन्दी में भी प्रन्थ लिखना और यथा अवसर निज द्रव्य ही से प्रकाशित कराना प्रारंभ कर दिया जिनकी सूची निम्न लिखित है:-- (क) आपके रचित व स्वप्रकाशित उर्द प्रन्थ-- १. तशरीहुलमसाहत (प्रथमभाग)--रेखागणित व वीजगणित के प्रमाणों सहित एक क्षेत्रगणित सम्बन्धी अपूर्व प्रन्थ । निर्माण काल वि० सं० १९४८, मुद्रणकाल १६४६ । २. दीवाखा हनुमानचरित्र नाविल-निर्माणकाल वि० सं० १६४६, मुद्रणकाल १६५० । ३,४,५. हनुमानचरित्र नाँविल ( तीन भाग)-हनुमान जी की जन्मकुण्डली व वंशावली आदि सहित अलंकृत गद्य में लगभग ४०० पृष्ठ का एक चित्ताकर्षक ऐतिहासिक उपन्यास । निर्माण काल वम०काल १९५४,५५, ५६,५७। ६,७,८. हफ्तजवाहर (तीन भाग)-वैद्यक, गणित, योग, सांख्य, आदि के कुछ सिद्धान्तों का पठनीय संग्रह लगभग १५० पृष्ठों में । निर्माण काल व मुद्रण काल वि० सं० १९५४, ५५, ५६, ५७। ६. रोमन उद(प्रथम भाग)-बिना शिक्षक की सहायता के अपनी मातृभाषा उद __ हिन्दी आदि को अंग्रेजी अक्षरों में लिखना पढ़ना सिखाने वाली एक बड़ी उपयोगी पुस्तक । निर्माण व मुद्रण काल वि० सं० १९५६, ५७। .. १०. अन्मोलबूटी--एक ही सुप्रसिद्ध सुगम प्राप्य बूटी द्वारा अनेकानेक रोगों की चिकित्सा आदि सम्बन्धी एक महत्वपूर्ण वैद्यक प्रन्थ । निर्माण काल वि० सं० १९५६, मुद्रण काल १६५७, ५६, ६० । ( ४ संस्करण) ११. दवामीजंत्री--त्रिकालवर्ती अङ्गरेज़ी तारीखो के दिन और दिनों की तारीख बताने वाली जंत्री। निर्माण व मु० काल वि० से १९४८ व ५७ । १२. स्त्र लासा फनेजुराअत--कृषि विद्या सम्बन्धी एक संक्षिप्त ट्रैक्ट । निर्माण व मुद्रण काल वि० सं० १९५७, ५८। १३. अन्मोलक़ायदा नं० १--त्रिकालवर्ती किसी अंग्रेजी ज्ञात तारीख का दिन या ज्ञात दिन की तारीख अर्द्धमिनट से भी कम में बड़ी सुगम रीति से जिह्वान निकाल लेने की अपूर्व विधि । आविष्कार काल वि० सं० १९४८, मुद्रण काल १४५८ । १४. हकीम अफलातून--यनान देश के प्रसिद्ध विद्वान् 'अफलातून' का जीवनचरित्र उस ___ की अनेक मौलिक शिक्षाओं सहित । निर्माण व मुद्रण काल वि० सं० १९५९ । १५. फादेज़हर (प्रथम भाग)--साँप, बिच्छू, बाघला कुत्ता, आदि विषीले प्राणियों के काटने, डंक मारने आदि की पीड़ाओं को दूर करने के सहज उपाय । निर्माण काल १६५८, मुद्रण काल १६५८, व ६६ ( दो संस्करण) १६. फादेज़हर (भाग ३ ३)-अफयन, कुचला, भिलावा,आदि बनस्पतियों और संखिया, हड़ताल, पारा आदि धातुओं के विषीले प्रभाव का उतार आदि । निर्माण काल वि० सं० १६५६, मुद्रण काल १९६० ।। १७. ज़मीमा अन्मोल बूटी--निर्माण काल व मुद्रण काल वि० सं० १६६० । - Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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