Book Title: Ghantakarna Pratishtha Vidhi_
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Vardhamansuri

View full book text
Previous | Next

Page 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobetirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जिनार्चनविधि घण्टाकर्ण प्रतिष्ठाविधिः cameroCoeroecoopeoreDeceae ॐ अहं क्ष- नानावण महामोद, सर्वत्रिदशवल्लभम् । जिनार्चनेऽत्र संसिद्ध्यै, पुष्पं भवतु मे सदा ॥१॥ स्वाहा ॥ इति पुष्पपूना । ततोऽक्षतान् गृहीत्वा मन्त्रश्लोकःॐ अहं तं- प्रीणन निर्मलं बल्य, माङ्गल्यं सर्वसिद्धिदम् । जीवनं कार्यसंसिद्ध्यै, भूयान्मे जिनपूजने ॥ १ ॥ स्वाहा । इत्यक्षतान् जिनप्रतिमोपरि आरोपयेत् ॥ ततः पूगजातिफलानि वर्तमानतुफलं करे गृहीत्वा मन्त्रश्लोकःॐ अहं फु:- जन्मफलं स्वर्गफलं, पुण्यमोक्षफलं फलम् । दद्याजिनार्चनेऽत्रेव, जिनपादारसंस्थितम् ॥१॥ स्वाहा ।। इति जिनाग्रे फळपूजा ॥ ततो धूपं गृहीत्वा श्लोकःॐ अहं रं- श्रीखण्डागरुकस्तूरी,-द्रुमनिर्याससंभवः । पीणनं सर्वदेवानां, धूपोऽस्तु जिनपूजने ॥१॥ स्वाहा । इति वह्नौ धूपक्षेपः ॥ ततः पुष्पं गृहीत्वा मन्त्रश्लोक: Deepeededeevaaeeee For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64