Book Title: Ghantakarna Pratishtha Vidhi_
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Vardhamansuri
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घण्टाकर्ण प्रतिष्ठाविधिः
लघुस्नात्रविधिः
॥ २४॥
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ॐ मङ्गल ! इह० शेषं पूर्ववत् ॥३॥ राहुं प्रति- (श्लोकपाठः-)
अस्तांह: सिंहसंयुक्त, रयविक्रममन्दिर ।
सिंहिकासुत पूजाया-मत्र सन्निहितो मव ॥१॥ ॐ राहो ! इह० शेषं पूर्ववत् ॥ ४॥ शनि प्रति
फलिनीदलनीळलीळयान्तः स्थगितसमस्तवरिष्ठविषनात ।
रवितनय नय प्रबोधमेतान् जिनपूजाकरणकसावधानान् ॥१॥ ॐ शने ! इस० शेषं पूर्ववत् ॥५॥ चन्द्रं प्रति- (द्रुतविलम्बितवृत्तपाठ:-)
अमृतवृष्टिविनाशितसर्वदो-पचितविघ्नविषः शशलांछनः ।
वितनुतां तनुतामिह देहिनां प्रस्ततापकरस्य जिनार्चने ॥१॥ ॐ चन्द्र ! इह शेषं पूर्ववत् ॥ ६॥ बुधं प्रति-वृत्तम्
बुध विबुधगणार्चितांघ्रियुग्म प्रमथितदैत्यविनीतदुष्टशास्त्र ।
जिनचरणसमीपगोऽधुना वं रचय मतिं भवघातनप्रकृष्टाम् ॥१॥ ॐ बुध ! इ० शेषं पूर्ववत् ॥७॥ गुरुं प्रति- वृत्तम्
DowCERECRPORRORRECRECORDCRACTRom
॥ २४॥
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