Book Title: Ghantakarna Pratishtha Vidhi_
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Vardhamansuri

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Page 24
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobetirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घण्टाकर्ण प्रतिष्ठाविधिः लघुस्नात्रविधिः ॥ २४॥ amarpccccccccccceD0 ॐ मङ्गल ! इह० शेषं पूर्ववत् ॥३॥ राहुं प्रति- (श्लोकपाठः-) अस्तांह: सिंहसंयुक्त, रयविक्रममन्दिर । सिंहिकासुत पूजाया-मत्र सन्निहितो मव ॥१॥ ॐ राहो ! इह० शेषं पूर्ववत् ॥ ४॥ शनि प्रति फलिनीदलनीळलीळयान्तः स्थगितसमस्तवरिष्ठविषनात । रवितनय नय प्रबोधमेतान् जिनपूजाकरणकसावधानान् ॥१॥ ॐ शने ! इस० शेषं पूर्ववत् ॥५॥ चन्द्रं प्रति- (द्रुतविलम्बितवृत्तपाठ:-) अमृतवृष्टिविनाशितसर्वदो-पचितविघ्नविषः शशलांछनः । वितनुतां तनुतामिह देहिनां प्रस्ततापकरस्य जिनार्चने ॥१॥ ॐ चन्द्र ! इह शेषं पूर्ववत् ॥ ६॥ बुधं प्रति-वृत्तम् बुध विबुधगणार्चितांघ्रियुग्म प्रमथितदैत्यविनीतदुष्टशास्त्र । जिनचरणसमीपगोऽधुना वं रचय मतिं भवघातनप्रकृष्टाम् ॥१॥ ॐ बुध ! इ० शेषं पूर्ववत् ॥७॥ गुरुं प्रति- वृत्तम् DowCERECRPORRORRECRECORDCRACTRom ॥ २४॥ For Private and Personal Use Only

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