Book Title: Ghantakarna Pratishtha Vidhi_
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Vardhamansuri

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Page 44
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobetirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घण्टाकर्ण प्रतिष्ठाविधिः सप्तपीठ पूजनात्मको विधिः ॥४४॥ PिPerameezercexcerpreepe सपरिच्छद इह घण्टाकर्णप्रतिष्ठामहोत्सवे आगच्छ आगच्छ, इदमयं पायं बलिं चरुं गृहाण गृहाण, सन्निहितो भव भव स्वाहा, जलं गृहाण गृहाण, गन्ध० पुष्पं० फळानि० मुद्रा० धूपं० दीपं० नैवेद्यं० सर्वोपचारान्० शान्ति कुरु कुरु, तुष्टिं कुरु कुरु, पुष्टिं० ऋद्धिं वृद्धि सर्वसमीहितानि देहि देहि स्वाहा ॥१॥ चन्द्रं प्रतिमोद्यत्पीयूषपूरप्रसृमरजगतीपोषनिदोषकृत्य. व्यावृत्तो ध्वान्तकान्ताकुळकलितमहामानदत्तापमानः । उन्माद्यत्कंटकाळीदलकवितसरोजालिनिद्राविनिद्र-श्चन्द्रश्चन्द्रावदातं गुणनिवहममिव्यातनोखात्मभाजाम् ॥ १॥ ॐ चं चं चं नमश्चन्द्राय शंभुशेखराय पोडशकलापरिपुर्णाय तारगणाधीशाय वायव्यदिगधीशाय अमृतायामृतमयाय सर्वजगत्पोषणाय श्वेतवस्त्राय श्वेतदशवाजिवाहनाय सुधाकुंभहस्ताय श्रीचन्द्र सायुध सवाहन सपरिच्छद इह शेषं पूर्ववत् ॥२॥ मंगलं प्रति ऋणाभिहन्ता सुकृताधिगन्ता, सदैव वक्रः क्रतुमोजिमान्यः । प्रमाथकृद्विघ्नसमुच्चयानां, श्रीमंगलो श्रीमंगळमातनोतु ॥३॥ ॐ ई ई ई स: नमः श्रीमङ्गलाय दक्षिणदिगधीशाय विद्रुमवर्णाय रक्ताम्बराय भूमिस्थिताय कुद्दालहस्ताथ श्रीमङ्गल सायुध सवाहन सपरिच्छद इह० शेषं पूर्ववत् ।। ३॥ बुधं पति Doncorecarpecanoamerocracoccc । ॥ ४४॥ For Private and Personal Use Only

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