Book Title: Ghantakarna Pratishtha Vidhi_
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Vardhamansuri
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobetirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
घण्टाकर्ण प्रतिष्ठाविधिः
लघुस्नात्र। विधिः
॥ २२॥
Recoecemezaeerence
कैलासवास विलसत्कमलाविलास, संशुद्धहास कृतदौस्थ्यकथानिरास ।
श्रीमत्कुबेर भगवन् स्नपनेऽत्र सर्व-विघ्नं विनाशय शुभाशुभ शीघ्रमेव ॥१॥ ॐ कुबेर ! इह शेष पूर्ववत् ॥ ७॥ ईशानं प्रति- (वसन्ततिलका-)
गंगातरंगपरिखेलनकीर्णवारि-प्रोद्यकपर्दपरिमण्डितपार्श्वदेशम् ।
नृत्यं जिनस्नपनहृष्टहृदः स्मरारे-विघ्नं हरतु सकलस्य जगत्त्रयस्य ॥१॥ ॐ ईशान ! इह शेषं पूर्ववत् ॥ ८॥ ततो नागान् पति-(वैतालीयपाठ:-)
फणिमणिमहसा विभासमानाः कृतयमुनाजळसंश्रयोपमानाः ।
फणिन इह जिनाभिषेककाले बलिभवनादमृतं समानयन्तु ॥१॥ ॐ नागा ! इह० शेषं पूर्ववत् ॥९॥ ब्रह्माणं प्रति- (द्रुतविलम्बितवृत्तम्-)
विशदपुस्तकशस्तकरद्वयः प्रथितवेदतया प्रमदपदः ।
भगवतः स्नपनावसरे चिरं, हरतु विघ्नभयं द्रुरिणो विभुः ॥१॥ ॐ ब्रह्मन् इह शेषं पूर्ववत् ॥ १०॥ एवं क्रमेण दिक्पालपूजनम् ॥
emezoetreleezoegReeperma
॥ २२॥
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64