Book Title: Epigraphia Indica Vol 04
Author(s): E Hultzsch
Publisher: Archaeological Survey of India

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Page 331
________________ 276 EPIGRAPHIA INDICA. [VOL. IV. 102 भेरुंडी हरिभक्तिसुधानिधिः । [३७*] इत्यादिविरुदै [व]. 103 दितत्या नित्यमभिष्टतः । जय जीवेति वादिन्या Fourth Plate; First Side. 104 जनितांजलिबंधया । [३८] कांभोजभोजकाम्गिकरहाटादि105 पार्थिवैः । प्रतीहारपदं प्राप्तः प्रस्तुतस्तुतिघोषणः । [३८] सोयं नी106 तिजितादिभूपतितति[:] सुचामशाखी सुधीसार्थानां भुजतेज107 सा स्ववशयन् 'कर्नाटसिंहासनं । आ सेतोरपि चाहिमाद्रि] वि. 103 मतान् सहृत्य शासन्मुदा (1) सर्वोवर्वी प्रचकास्ति वेंकटपति109 श्रीदेवरायाग्रणीः । [४.*] शक्तिनेत्रकळंबेंदुगणिते पकवत्सर । 110 []वसंवत्सरे पुण्ये माशि' वैशाखनामनि । [४१.] पचे [व]111 कक्षे पुण्यर्वे पुण्यायो 'हादसोतिथौ । श्रीवेंकटेशपा112 दामसंनिधौ श्रेयसां निधौ । [४२*] 'श्रीमत्त्रीवस्[च] गोचा113 य वरापस्तंबसूचिणे । यशखिने यजशाखाध्यायिनेभी. 114 ष्टदाइने । [४३"] यजनादिमषट्कर्मभजनात्पावनात्मने । नि115 त्यनैमित्तिकाचारनिर्मलखांत्तवृत्तये । [४४*] मष्टावदानसं116 तंष्टशिष्टाचारविजन्मने । अष्टादशपुराणार्थहष्टाश. 117 यसरोरुहे । [४५*] अवताराय वाल्मी केरंशाय 118 ते[:] । राजन्यास्थानरत्नाय रक्षिताशेषबंधवे । [४६'] सूर्यदेवा119 [2]भट्टस्य पौत्रायामित[तेजसे] । उऍटूरनंतभट्टपुत्रा120 "य्यातियशस्विने । [४७] तिरुवेगळनाथार्यपौराणीकविप-॥ 121 चिते । पडवीडुमहाराज्ये पळुर्कोटके स्थितं । [४८०] [च] रग-1 122 [वपरदागिसीमालक्ष्मीविभूषणं । पेरितिमिरिना ___Fourth Plate ; Second side. 123 डस्थं (1) कलवेपत्तुशोभितं । [४] अरगुबमहाग्रामप्रा. 124 चीभागमुपाश्चितं । संप्रोल्लसत्करपाडिदक्षिणस्या 125 दिसि" स्थितं । [५.] "श्रीचातुरुतत्रवाचोस्तु पश्चिमाशामुपाश्चितं - I Read कर्णाट. - Read संहत्य. - Read मासि. • Read हादशी. • Read श्रीमचीवम. • Read दायिने. - Read "तुष्ट. • Read हस्पते.. store appears to be corrected from afta; compare below, line 138. 10 Read याति. ___n Rend पौराधिक. - Read घरगुनपरंद्रामि. WRead °पाडेर्दक्षिणा . - Rend दिशि. 15 The fourth syllable is indistinct and may be meant for rru, ru, rahu or ww; road f e r .

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