Book Title: Epigraphia Indica Vol 04
Author(s): E Hultzsch
Publisher: Archaeological Survey of India

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Page 373
________________ 316 EPIGRAPHIA INDICA. [VoL. IV. * तस्यान्वयागतमहापतिहारिमुखसंस्तंभिताखिलविरोधिनराधिपौवाः । गोकर्ब5 सूनुरवनीपुरवंशभानुरायगोचमाहिती मानीयकीर्तिः । [२] वनपतिरि6 ति नामा त[ख] गांभी[]शौर्याखिलजगदुपवार यग्वभूम' प्रचेताः । पधि 7 भिमतात्तहानमालोक्य चिंतामणिरिह न विदद्रे यत्तदमत्वहतोः । [१] पाजा8 वसौ चोडनृपस्व सेनामहावनस्वाश्बनिगाकुलस्य' [] मत्तेभस[] रामघू. 9 'चिंतस्त्र * दावानलोभूञ्चलमत्तिंगडः । [४] तेनानी चोडसेनावनटवदहनना 10 'प्रासय[स्त्री]निशिज्वालके नोबलगबतुरगानोकिनीनावभू[*]: [1] निई वा भग्नमू11 ला "निपतितशिरसचिवबाहूमशाखा 'दिश्यतेद्यापि भूतेश्य इव धवसैरस्थिभि12 |मासैः । [५] जित्वा सुजुर्वेगिधराधिनाथं तस्वाजहाराखिलवस्तुरा. मि[म'] । 'दहावस्तेन 13 यमाय दूतः प्रस्थापितो दिग्णयकीर्तनाय ॥ [५] वित्वेवं भूमिपालाबन- - __ पतिरवनावाम[:] 14 कीर्तिवमी भाकादे गैलपमप्रभवनिधिबुते दीर्धरस्वां नगी [] दुर्गा देव्यालयस्याभरण15 मिव पुर[:] स्थापयामास गुर्थी श्रीमान् श्रीनायवीय[:] खगितदश दिमाव[r ]वयालाचलेन। [...] 16 दीपमखण्ड" प्रादाबपतिकमोतिचाहदोईः ।"] तस्थामेव समायान्तस्यै देव्यै सुरेशपूज्याये । [१] 17 "श्रीशकुनेण्ड्लु "भूसतिपै शैलनन्दाबभवसंख्थनीन्द बैंगि- [1] देशबु गिमि डिय" गोसन गिड़ि18 सिंगिदेशंबु मलियोइडदेशमनंग [1] बनिन भूपालुरननिनोचे" चलम लिंगडेनेगडिन 1 Read गीवर्ष • Bad बारग्वभूब - Read Sगाकुलस्व. + Read चूचितव. Read fufen. • Bad शिरसम्विन. I Rend दृश्यन्ते. • Read नामांसः Read dr. 10 Read taty. n Rad शाखाकरीन. I Rend °बई. The following is a Telaga verre, containing & Hoondlikd of eight lines, followed by an afaveladi of four lines. The composition is not good. There are several errors which are noticed in the footnotes. In those syllables, after which I have placed the letter a. then sals and should be attenuated in reading. No tha preseding them may be laghu or short. At present these nanalo would be replaced by half-anusoara symbole. * A letter is wanting before . ne before . Read fafafry. Rad भीर्ष,

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