Book Title: Epigraphia Indica Vol 04
Author(s): E Hultzsch
Publisher: Archaeological Survey of India

Previous | Next

Page 381
________________ 324 EPIGRAPHIA INDICA. [VoL. IV. Second Plate ; Second Side. 40 भ्रमयबघानि शमयन् धर्म समायामयन् सोयं वेममहोपतिवि41 जयते काटावनीशात्मनः ॥ [२३] अभूत्काटयवेमस जाया मक्षांबिका सतो । प्र42 शेषगुणसंपर्णा' पातिव्रत्यधुरंधरा ॥ [२४] राजद्राजमईद्रनामनगर गोदा43 बरीतीरगं मार्कडेयशिवालयं पतिहिता ममाविका धार्मिका । कत्वा * सुवर्णरबखचितं ब्रमप्रतिष्ठास्तथा सत्रास्यध्वनि च प्रपा विजयतेनेकां45 स्तटाकानपि ॥ [२५] श्रीशाके गुणरामविश्वगणिते कार्तिक्यहन्दे खरे प्रादाबाटय48 वेमय[:] खवनितामझांबिकानामतः । ग्रामं मनवरं वृसिं47 , हविदुषे काखदिलायादरादाचंद्राकमुद लालसमतिख48 र्यभोगाष्टकं ॥ [२५] कोनदेशेनहारोयं भाति मनवराभिधः । तीरे च 'वृध्धगौतम्या49 : पुण्यो मुक्तीसरांतिके ॥ [२७] अप्पयार्यस्य • पोचोसी नृसिंह: काश्य पान्वयः । म50 ब्रदानपरो नित्यमहोबलतनूभव: । [२८] 'यधाविभागमाशान् विधाय जाति61 भिमाद । अधीतकाखशाखाहा' भुते' धन्धी यथासुखं । [२८] * ईवूरि पोलमेर 52 सोमलु । तूऍन । तोत्तडिमंडि पोलमेर पुत बनुलमुप्पडितोटमामि-' Third Plate ; First Side 53 इलु मोदलुगां बोयि मनायम्मंगारिकोम[रगिरिपुरपु पोलमेर] 54 पुंत मोचेनु । दक्षिशान । भा कोमरगिरिपुरण पोल[मेरडे वृक्षगीत मि] 55 मोचेनु । पडुमटनु वृध्वगौतमि । उत्तराननु । विद्यारिस्थतीर्थमनि वृद्धगौत] I Read संपूर्ण . Read T. • Bad कावधिना. • Read वृद्ध • Read यथा. • Read शाखामा (१). 1 Read भुती . The anusedra stands at the beginning of the next line. That piece of the third plate, wbich contains the bracketed pacanges at the ends of lines 53-56, is now lost. 10 Read

Loading...

Page Navigation
1 ... 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458