Book Title: Dvipushta Vasudev Charitram
Author(s): Vardhamansuri
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

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Page 12
________________ द्विपृष्ट सान्वय चरित्रं || भाषांतर // 11 // // 11 // %A4%AALCRICRORGGIE%99 अजातजयभङ्गानि क्षणं क्षोणिपयोस्तयोः / अश्वेभरथपत्तीनां द्वन्द्वयुद्धानि जज्ञिरे // 33 // * अन्वयः-क्षणं तयोः क्षोणि पतयोः अजात जय भंगानि, अश्व इभ रथ पत्तीनां द्वंद्व युद्धानि जज्ञिरे. // 33 // अर्थः-पछी क्षण वारसुधी ते वन्ने राजाओनां हारजीतविनानां घोडा, हाथी, रथ, तथा पायदळनां द्वंद्वयुद्धो थयां. // 33 // चिरेप्सितायां समरश्रियि संजातसंगतौ। अदर्शि क्षतजं वीरश्चिरसंचितरागवत // 34 // अन्वयः-चिर इप्सितायां समर थियि संजात संगतौ वीरैः चिर संचित रागवत् क्षतजं अदर्शि. // 34 // अर्थः-घणा काळथी इच्छेली संग्रामलक्ष्मीनो समागम थतां शूरवीरोए घणा काळथी एकठा करेला रागसरखं रुधिर देखाडी आप्यु. शरीररिवाराणामभ्युत्पत्य मुहुर्मुहुः / प्रहाराणां गणः काममापतन्कवलीकृतः // 35 // __ अन्वयः–वीर वाराणां शरीरैः मुहुः मुहुः अभ्युत्पत्य प्रहाराणां आपतन् गणः कामं कवलीकृतः / / 35 / / अर्थः-शूरवीरोना समूहोना शरीरोए वारंवार सामे उछळीने प्रहारोना आवी पडता समूहने खुशीथी कोळीआरूप करी लीधो, अर्थात् झीलीने सहन को. // 35 // अन्येष्वपि द्विषद्वारप्रहारान्परिपातिनः / स्वस्मिन्नेव भटा ऐच्छल्लुब्धा इव धनोच्चयान् // 36 // अन्वयः-लुब्धाः धनोच्चयान् इव, अन्येषु परिपातिनः द्विपत् वार प्रहारान् अपि भटाः स्वस्मिन् एव ऐच्छन्, // 36 // अर्थः-लोभी माणसो जेम धनना समूहोने इच्छे, तेम वीजाओपर पडता शत्रुसमूहना प्रहारोने पण शूरवीरो पोतापर पडे तो P.P.AC.Gunramanun M.S. Jun Gun And Trust

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